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चकबन्दी क्या होती है।उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम 1953 की धारा 4 क्या है।उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम 1953 की धारा 6 क्या है।

चकबन्दी क्या होती है।उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम 1953 की धारा 4 क्या है।उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम 1953 की धारा 6 क्या है। उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम 1953 की धारा 4 व धारा 6 क्या है।Chakbandi kya hoti hai। Jot Chakbandi adhiniyam ki dhara 4 kya hai।Chakbandi adhiniyam ki dhara 6 kya hai।



चकबन्दी क्या होती है।उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम 1953 की धारा 4 क्या है।उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम 1953 की धारा 6 क्या है।



आज की इस पोस्ट में आप लोगों के लिए उत्तरप्रदेश जोट चकबंदी अधिनियम की धारा 4 और धारा 6 के बारे में विस्तार के बताने जा रहे हैं।किसी ग्राम में चकबंदी होती है जो धाराओं के बारे में जरूर सुना होगा।इस पोस्ट में Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 4 kya hai।Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 6 kya hai।इन धाराओं को जानने से पहले हमे जानना जरूरी है कि चकबंदी क्या होती है।खेतों की चकबंदी क्यो जरूरी है।खेतों की चकबंदी से क्या फायदे हैं।Chakbandi kya hoti hai।What is Chakbandi।Chakbndi kyu jaruri hai।khet ki Chakbandi ke kya kya fayde hai।इस प्रकार के सभी सवालों के जवाब इस पोस्ट में मिलेंगे।




चकबंदी क्या होती है।चकबन्दी से क्या क्या फायदे हैं।Chakbandi kya hoti hai।Chakbandi se kya labh hai।


चकबन्दी का तात्पर्य एक कटक के जोतो के विभिन्न खातेदारों  के बीच इस प्रकार पुन: व्यवस्था करने से है । जिसमें कि उनके अपने अपने खाते अधिक संहत हो जाए।चकबन्दी दो शब्दों चक+ बंदी से मिलकर बना है इसमें 'चक' का अर्थ है खेत और बंदी का अर्थ जोड़ने से हैI।  चकबन्दी में छोटे-छोटे भूखंडो को मिलकर एक बड़ा भूखंड या खेत तैयार किया जाता है। दरअसल चकबंदी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत किसानों के इधर-उधर बिखरे हुए खेतों को उनके आकार और मूल्य या मालियत के आधार पर उन्हें एक स्थान पर करके एक बड़ा चक बना दिया जाता है। इससे किसानों को खेती करनें में आसानी के साथ ही उनके चकों की संख्या भी कम होती है।छोटे-छोटे खेतों की मेड़ों में भूमि बर्बाद नहीं होती है।खेत बड़े हो जाने या पास पास हो जाने से मशीनीकरण आसान हो जाता है।खेत का आकार अधिक हो जाने से लागत घट जाती है।कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव हो पाती है।



उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 4 क्या है


उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 4 में किसी क्षेत्र में चकबन्दी योजना को प्रारम्भ करने के लिये राजकीय गजट में प्रख्यापन किया जाता है। गजट में प्रख्यापन के दिनांक से वह क्षेत्र चकबन्दी योजना के अन्तर्गत समझा जाता है और उसी दिनांक से तहसील में कार्य का बन्द किया जाता है। इस दिनांक से तहसील में राजस्व न्यायालय में किया जाने वाला कार्य चकबंदी विभाग के अंतर्गत चकबंदी योजना कर्मचारियों द्वारा सम्पन्न किया जाता है। और जमीदारी विनाश अधिनियम के अन्तर्गत चल रहे सभी वादों को चकबंदी न्यायालयों को भेज दिये जाते है। भूमि के अन्तरण पर प्रतिबंध लग जाता है।बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी की अनुमति से ही अन्तरण किया जा सकता है। अर्थात जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 4 में चकबंदी के संबंध में प्रख्यापन व विज्ञप्ति जारी की जाती है।



उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 6 क्या है


उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 4 के अधीन स्थल पर जांच करने के उपरान्त  यदि स्थान विशेष की स्थिति चकबंदी क्रियाये किये जाने योग्य नहीं पायी जाती है। जैसे - गाँव में भूमि का ऊँचा नीचा या खार आदि के रूप में होना, ग्रामवासियों द्वारा पहिले से ही चकबंदी योजना तैयार कर ली गयी हो या गाँव मे पार्टीबंदी का होना हो तो जोत चकबन्दी अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत चकबंदी क्रियाएँ समाप्त हो जाती है। राजकीय गजट में प्रख्यापन कर दिया जाता है और सारा कार्य जमींदारी विनाश अधिनियम के अनुसार तहसील कर्मचारियों द्वारा सम्पन्न किया जाने लगता है। अर्थात जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 6 में धारा 4 के अंतर्गत प्रचारित विज्ञप्ति को रद्द कर दिया जाता है।





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