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राजस्व संहिता 2006 की धारा 98 क्या है|UP Revenue Code 2006 Section 98

राजस्व संहिता 2006 की धारा 98 क्या हैं।Rajasva Sanhita 2006 ki dhara 98 kya hai|UP Revenue code 2006 Section 98(1) and Section 98(2)

Rajasav sanhita 2006 dhara 98 kya hai


नमस्कार दोस्तों आपका अपनी वेबसाइट www.elekhpal.com में स्वागत हैं।इस पोस्ट में हम आपके लिए UP Revenue Code 2006 Section 98, उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 98 के बारे में बताने जा रहे हैं।आपको इस पोस्ट में Rajasv Sanhita ki dhara 98 kya hai, राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(1) क्या हैं।राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(2) क्या हैं।अनुसूचित जाति के भूमिधरों से जमीन खरीदने पर राजस्व संहिता की कौन सी धारा के अंतर्गत अनुमति ली जाती हैं।इस सभी प्रश्नों के जबाब मिलेंगे।


राजस्व संहिता 2006 की धारा 98 क्या हैं|UP Revenue Code 2006 Section 98


उ0प्र0 राजस्व संहिता की धारा 98 के अन्तर्गत केवल अनुसूचित जाति के सदस्यों को अधिकार प्रदान किया गया है कि यदि वे अनुसूचित जाति से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय करना चाहते है तो उसके लिये कलेक्टर की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी। इसके लिए जिलाधिकारी (कलेक्टर) को लिखित में प्राथना पत्र दिया जाता हैं जहां से संबधित तहसील में उपजिलाधिकारी (SDM) को जाँच के लिए प्रेषित की जाती हैं।जहां जाँच के बाद आख्या जिलाधिकारी को प्रेषित की जाती हैं।राजस्व संहिता 2006 की धारा 98 की दो उपधाराएं धारा 98(1) और धारा 98(2) हैं।

जो निम्न प्रकार हैं-

धारा 98(1)- केवल SC भूमिधर को कलेक्टर की लिखित अनुमति के बाद ही SC के अलावा किसी को भूमि हस्तांतरित करने की इजाजत।

धारा 98(2)- अनुमति देने से पहले कलेक्टर द्वारा जांच की व्यवस्था।


अनुसूचित जाति के भूमिधरों द्वारा अन्तरण पर प्रतिबन्ध|राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(1) और धारा 98(2)-

(1) इस अध्याय के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, अनुसूचित जाति के किसी भूमिधर को, कलेक्टर की लिखित पूर्व अनुज्ञा के बिना, कोई भूमि किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति को विक्रय, दान, बन्धक या प‌ट्टे द्वारा अन्तरित करने का अधिकार नहीं होगा,परन्तु यह कि कलेक्टर द्वारा ऐसी अनुज्ञा तभी दी जा सकेगी जब-

(क) अनुसूचित जाति के भूमिधर के पास धारा 108 की उपधारा (2) के खण्ड (क) अथवा धारा 110 के खण्ड (क), जैसी भी स्थिति हो, में विनिर्दिष्ट कोई जीवित उत्तराधिकारी न हो या

(ख) अनुसूचित जाति का भूमिधर जिस जिले में अन्तरण के लिए प्रस्तावित भूमि स्थित है, उससे भिन्न किसी जिले अथवा अन्य राज्य में किसी नौकरी अथवा किसी व्यापार, व्यवसाय, वृत्ति या कारबार के निमित्त बस गया है या सामान्य तौर पर रह रहा है या

(ग) कलेक्टर का यह समाधान हो गया है कि विहित कारणों से भूमि के अन्तरण की अनुज्ञा देना आवश्यक है।


(2) इस धारा के अधीन अनुमति प्रदान करने के प्रयोजनार्थ कलेक्टर द्वारा ऐसी जांच की जा सकती है जैसी कि विहित की जाय।

राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(1) क्या हैं?/Rajasv sanhita 2006 ki dhara 98(1) kya hai-

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 98(1) के अनुसार अनुसूचित जाति (SC) का कोई भूमिधर अपनी जमीन को विक्रय, उपहार, बंधक अथवा पट्टे के माध्यम से किसी गैर-अनुसूचित जाति व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं कर सकता, जब तक कि उसे कलेक्टर की पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त न हो।

यदि भूमिधर SC से हो, और उसे जमीन हस्तांतरित करनी हो अमुक किसी को जो SC न हो, तो धारा 98(1) अनुमति आवश्यक है।


राजस्व संहिता 2006 की धारा 98(2) क्या हैं?/Rajasv sanhita 2006 ki dhara 98(2) kya hai-

अनुमति देने के लिए, कलेक्टर नियमानुसार पूछताछ या जाँच कर सकता है।यानी कि जमीन हस्तांतरण के आवेदन पर, कलेक्टर यह निर्णय लेने से पहले आवश्यक जांच कर सकता है।इसका उल्लेख धारा 98(2) में हैं।


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