उत्तरप्रदेश राजस्व सहिंता 2006 की धारा 67 क्या है।उत्तरप्रदेश राजस्व सहिंता 2006 की धारा 67(1) क्या होती है।up revenue code section 67।up revenue code section 67(1)
आज की पोस्ट में हम उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के बारे में बताने जा रहे हैं।up revenue code 2006 section 67 की कार्यवाही कैसे की जाती है।इस पोस्ट में आपको राजस्व संहिता की धारा 67 से संबंधित सभी प्रश्नों का जवाब जैसे- उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67(1) क्या है।राजस्व संहिता की धारा 67 की कार्यवाही कैसे की जाती है। लेखपाल के द्वारा धारा 67(1) की कार्यवाही कैसे की जाती है।लेखपाल के जीवन मे up revenue code section 67 का क्या महत्व है।इसके साथ ही ये बताया जाएगा कि लेखपाल ग्राम समाज मे भूमि या सुरक्षित भूमि पर अवैध अतिक्रमण होने पर उसके संबंध में धारा 67 की कार्यवाही के लिए कौन सा आकर पत्र (प्रारूप) का प्रयोग किया जाता है। up revenue code 2006 section 67।up revenue code 2006 section 67(1)। up rajashv sanhita ki dhara 67 kya hai। rajasva sanhita 2006 ki dhara 67(1) kya hai।
आज की पोस्ट में निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं के बारे में जानकारी मिलेगी-
उत्तरप्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 क्या है।
राजस्व संहिता की धारा 67, उत्तर प्रदेश जमींदार विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 में कौन सी धारा थी।
राजस्व सहिंता की धारा 67(1) की कार्यवाही कौन से RC प्रपत्र में की जाती है।
लेखपाल लिए धारा 67(1) का क्या महत्व है।
ग्राम समाज की भूमि या सुरक्षित श्रेणी की पर अवैध अतिक्रमण की बेदखली की कार्यवाही कैसे की जाती है।
RC प्रपत्र 19 क्या होता है।
RC प्रपत्र 20 क्या होता है।
RC प्रपत्र 21 क्या होता है।
RC प्रपत्र 19 pdf downlode
उत्तरप्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 क्या है।up revenue code 2006 section 67
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 67 के अंतर्गत ग्राम समाज या सरकारी भूमि पर किसी अतिक्रमण कर्ता द्वारा कब्जा किया जाता है तो उसकी बेदखली की कार्यवाही इस धारा के अंतर्गत की जाती है।तहसीलदार (सहायक कलेक्टर) को राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने तथा अतिक्रमण से हुए नुकसान का मुआवजा वसूल करने का अधिकार है। संहिता की धारा 67 के तहत वह इन अधिकारों का प्रयोग कर सकता है तथा नुकसान की वसूली भू राजस्व की तरह कर सकता है।लेखपाल भूमि प्रबंधक समिति का सचिव होता है इसलिए लेखपाल को जिम्मेदारी होती है कि उसके क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण ना होने दिया जाए।यदि लेखपाल क्षेत्र में कि सुरक्षित भूमि पहले से ही अतिक्रमण है तो वह राजस्व संहिता की धारा 67(1) व इसकी नियमावली के नियम 66 के अंतर्गत तहसीलदार न्यायालय में RC प्रपत्र 19 में अतिक्रमण के संबंध में सूचना देता है।इसके बाद सहायक कलेक्टर या तहसीलदार द्वारा अपने न्यायालय में मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है।इसमे संहिता के नियमावली के नियम 66 के अंतर्गत लेखपाल के द्वारा RC प्रपत्र 19 में सहायक कलेक्टर को सूचना दी जाती है तथा इसके बाद कि कार्यवाही सहायक कलेक्टर द्वारा नियम 67 के अंतर्गत की जाती है।
धारा 67- ग्राम पंचायत की सम्पत्ति की क्षति, उसका दुरुपयोग और गलत अधिभोग को रोकने की शक्ति –
(1) जहां किसी ग्राम पंचायत या अन्य स्थानीय प्राधिकरण को इस संहिता के उपबन्धों के अधीन सौंपी गयी या सौंपी गयी समझी हुई कोई सम्पत्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है या उसका दुरुपयोग होता है, या जहां कोई ग्राम पंचायत अन्य प्राधिकरण इस संहिता के उपबन्धों के अधीन किसी भूमि पर कब्जा प्राप्त करने के लिये हकदार हो और ऐसी भूमि उक्त उपबंधों के सिवाय अन्यथा रूप से अधिभोग में हो वहां यथास्थिति भूमि प्रबन्धक समिति या अन्य प्राधिकरण या सम्बन्धित लेखपाल विहित रीति से सम्बन्धित सहायक कलेक्टर को सूचित करेगा।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन या अन्यथा प्राप्त सूचना से सहायक कलेक्टर का समाधान हो जाता है कि उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई सम्पत्ति क्षतिग्रस्त कर दी गयी है या उसका दुरुपयोग किया गया है या किसी व्यक्ति का इस संहिता के उपबन्धों के उल्लंघन में उस उपधारा में निर्दिष्ट किसी भूमि पर अधिभोग हो वहां वह संबंधित व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा कि क्यों न उससे क्षति, दुरुपयोग या गलत न अधिभोग के लिये प्रतिकर, जो नोटिस में विनिर्दिष्ट धनराशि से अधिक न हो, की वसूली की जाय और क्यों न उसे ऐसी भूमि से बेदखल कर दिया जाय।
(3) यदि ऐसा व्यक्ति, जिसे उपधारा (2) के अधीन नोटिस जारी की गयी हो, नोटिस के विनिर्दिष्ट समय के भीतर या ऐसे बढ़ाये गये समय के भीतर जैसा कि सहायक कलेक्टर इस निमित्त अनुज्ञा प्रदान करे, कारण बताने में विफल रहता है या दर्शाया गया कारण अपर्याप्त पाया जाता है तो सहायक कलेक्टर यह निदेश दे सकता है कि ऐसे व्यक्ति को भूमि से बेदखल कर दिया जाए और उक्त प्रयोजन के लिये ऐसे बल का उपयोग कर या करवा सकता है, जैसा कि आवश्यक हो और यह निदेश दे सकता है कि यथास्थिति सम्पत्ति की क्षति या उसके दुरुपयोग के लिये या गलत अधिभोग के लिये प्रतिकर की धनराशि की वसूली ऐसे व्यक्ति से भू-राजस्व के बकाये के रूप में कर सकते है।
(4) यदि सहायक कलेक्टर की यह राय हो कि कारण बताने वाला व्यक्ति उपधारा (2) के अधीन नोटिस में निर्दिष्ट क्षति या दुरुपयोग या गलत अधिभोग करने का दोषी नहीं है तो वह नोटिस को खारिज कर देगा।
(5) उपधारा (3) या उपधारा (4) के अधीन सहायक कलेक्टर के किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति ऐसे आदेश के दिनांक से तीस दिन के भीतर कलेक्टर को अपील कर सकता है।
(6) इस संहिता के किसी अन्य उपबन्ध में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी इस धारा के उपबन्धों के अध्यधीन सहायक कलेक्टर का इस धारा के अधीन प्रत्येक आदेश उपधारा (5) के अध्यधीन अन्तिम होगा।
(7) इस धारा के अधीन की गयी किसी कार्यवाही में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया वही होगी जैसी विहित की जाय।
राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 की नियमावली
नियम 66- सहायक कलेक्टर को सूचना
धारा 67 (1) के अन्तर्गत वांछित सूचना सम्बन्धित भूमि प्रबन्धक समिति के अध्यक्ष अथवा किसी सदस्य अथवा सचिव अथवा स्थानीय प्राधिकारी के किसी अधिकारी द्वारा आर० सी० प्रपत्र-19 (RC प्रपत्र 19) में सहायक कलेक्टर को दी जायेगी।
नियम 67-सहायक कलेक्टर द्वारा अग्रेतर जांच
(1) नियम 66 के अन्तर्गत सूचना प्राप्त होने या अन्यथा उनकी जानकारी में आने पर सहायक कलेक्टर ऐसी जांच करेगा जैसी वह उचित समझे और निम्नलिखित बिन्दुओं के सम्बन्ध में अग्रेतर सूचना प्राप्त कर सकेगा
(क) सम्पत्ति को अवैध अध्यासन अथवा दुर्वियोजन से हुयी क्षति का विवरण जिसमें गाँव,खाता संख्या क्षेत्रफल चौहद्दी और उक्त क्षति अथवा दुर्विनियोजित की गई सम्पत्ति का बाजारी मूल्य।
(ख) ऐसे दुविनियोजन या अवैध अध्यासन से सम्पत्ति को पहुंची क्षति के लिये उत्तरदायी व्यकि का नाम, पितॄनाम और पूरा पता।
(ग) अवैध अध्यासन की अवधि क्षति या दुर्विनियोजन और सम्मिलित भूखण्डों की भूमि की श्रेणी।
(घ) सम्पत्ति जिसे क्षति पहुंचायी गई अथवा दुर्विनियोजन की गई उसका कलेक्टर द्वारा निर्धारित सर्किल रेट पर आगणित मूल्य और नुकसानी को रकम जिसकी वसूली की मांग की गयी।
(2) इसके बाद सहायक कलेक्टर धारा 67 (2) के अन्तर्गत कार्यवाही किये जाने हेतु सम्बन्धित व्यक्ति के विरुद्ध आर सी० प्रपत्र-20 (RC प्रपत्र 20) में कारण बताओ नोटिस जारी करेगा कि क्षति, दुर्विनियोजन अथवा अवैध अध्यासन के लिये नोटिस में विनिर्दिष्ट की गयी रकम से अधिक रकम की वसूली उससे क्यों न की जा और उसे ऐसी भूमि से बेदखल क्यों न कर दिया जाय।
(3) यदि धारा 67 (2) के निर्दिष्ट नोटिस का अनुपालन नहीं किया जाता है अथवा सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा दर्शाया गया कारण पयत नहीं पाया जाता है तो सहायक कलेक्टर आदेश द्वारा निर्देश दे सकेगा कि
(क) ऐसे व्यक्ति आवश्यक का प्रयोग कर बेदखल किया जाये अथवा
(ख) सहायकलेक्टर द्वारा अवैध अध्यासन या क्षति के कारण आदेशित की गई क्षतिपूर्ति उपनियम (3) में उल्लिखित व्यय की रकम सहित यदि विनिर्दिष्ट समय में अदा नहीं की गयी है तो, भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल किया जाये।
(4) वसूल की जाने वाली क्षतिपूर्ति तथा निष्पादन हेतु आये खर्चे का उल्लेख ऐसी नोटिस में किया जायेगा जो कि निम्नलिखित रीति से निर्धारित की जायेगी।
(क) क्षति अथवा दुविनियोजन के प्रकरण में नुकसानी को रकम प्रचलित बाजार दर पर निर्धारित की जायेगी।
(ख) किसी भूमि पर अवैध अध्यासन की दशा में क्षतिपूर्ति की रकम प्रत्येक वर्ष के लिये कलेक्टर द्वारा निर्धारित सर्किल रेट पर आगणित भूमि के बाजार मूल्य के पांच प्रतिशत के बराबर होगी।
(ग) निष्पादन हेतु आगत हुए खर्चे का आगणन इस प्रक्रिया में लगे हुए कर्मचारियों के एक दिन के वेतन के आधार पर किया जायेगा।
(5) यदि भूमि पर अवैध रूप से अध्यासित व्यक्ति उसमें खेती किया है तो उसे फसल की कटाई करने तक उसके अध्यासन में बने रहने की इजाजत दी जा सकती है बशर्ते कि यह सकिल रेट के अनुसार आगभित उस भूमि के बाजारू मूल्य के पांच प्रतिशत के बराबर रकम जमा कर देता है जो कि समेकित गांव निधि में अथवा ग्राम पंचायत से भिन्न स्थानीय प्राधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, के निधि में जायेगी। यदि सम्बन्धित व्यक्ति आर० सी० प्रपत्र 20 की नोटिस में दी गयी अवधि के अन्दर उपरोक्त रकम का भुगतान नहीं करता है तो भूमि का फसल सहित कब्जा भूमि प्रबन्धक समिति अथवा स्थानीय प्राधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, को दे दिया जायेगा । परन्तु यह कि जहां ऐसा व्यक्ति उसी भूमि पर अथवा ग्राम पंचायत या स्थानीय प्राधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, की अधिकारिता के अन्तर्गत किसी अन्य भूमि पर फिर से कब्जा करता है, वहां उसे तुरन्त उससे बेदखल कर दिया जायेगा और उस खाली भूमि का अथवा उस पर स्थित फसल सहित कब्जा भूमि प्रबन्धक समिति अथवा स्थानीय प्राधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, को दे दिया जायेगा।
(6) सहायक कलेक्टर कारण बताओ नोटिस निर्गत किये जाने के दिनांक से नब्बे दिनों की अवधि के अन्दर धारा 67 के अन्तर्गत कार्यवाही को पूर्ण करने का प्रयास करेगा और यदि कार्यवाही ऐसी अवधि के अन्दर पूर्ण नहीं होती है तो उसके लिये कारण अभिलिखित किया जायेगा।
(7) उपनियम (5) की कोई बात भूमि प्रबन्धक समिति अथवा स्थानीय प्राधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, उस व्यक्ति, जो इस संहिता अथवा नियमावली के अन्तर्गत बेदखल कर दिये जाने के बावजूद दोबारा उसी भूमि पर अतिक्रमण करता है, को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 447 के अन्तर्गत अभियोजित करने से बाधित नहीं करेगी।
(8) प्रत्येक कलेक्टर के कार्यालय में आर० सी० प्रपत्र-21 में एक रजिस्टर अनुरक्षित किया जायेगा जिसमें धारा 67 के अन्तर्गत कार्यवाही में लगायी गयी नुकसानी और प्रतिकर के कारण वसूल किये जाने के लिये आदेशित रकम का विवरण दर्शाया जायेगा।
(9) ऐसा ही रजिस्टर प्रत्येक तहसीलदार द्वारा भी अनुरक्षित किया जायेगा जिसमें ऐसी कार्यवाही में अधिरोपित नुकसानी और प्रतिकर की वसूली दर्शायी जायेगी तहसील पर अनुरक्षित रजिस्टर में की गयी प्रविष्टियों का मिलान कलेक्टर द्वारा अनुरक्षित रजिस्टर से, उसमें की गयी प्रविष्टियों की यथार्थता को सुनिश्चित करने के लिये किया जायेगा।
(10) धारा 67 के अन्तर्गत कार्यवाही में अधिरोपित नुकसानी और प्रतिकर की वसूली दर्शाने वाली प्रगति आख्या प्रति वर्ष अप्रैल और अक्टूबर के पन्द्रहवें दिन पर राजस्व परिषद, उत्तर प्रदेश, लखनऊ को प्रेषित की जायेगी। परिषद जिलों से इस प्रकार प्राप्त आख्याओं को समेकित करने के पश्चात् उसे सरकार को प्रेषित करेगा।
(11) नियम 66 और 67 की कोई बात किसी ऐसे मामले, जिसके लिये संहिता की धारा 67 के अन्तर्गत कोई आदेश पारित किया गया है, के सम्बन्ध में तत्समय लागू विधि के अनुसार सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय में किसी व्यक्ति को अपना अधिकार, स्वत्व अथवा हित साबित करने से वर्जित नहीं करेगी।
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