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उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 30 क्या है।मिनजुमला गाटों की विभाजन की स्कीम क्या है।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 30 क्या है।राजस्व संहिता 2006 की धारा 30(1) और 30(2) क्या हैं। UP Revenue code 2006 section 30। Rajasv sanhita 2006 ki dhara 30 kya hai

Up Rajasv sanhita 2006 section 30



इस पोस्ट में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 30 के बारे में बताने जा रहे है। राजस्व संहिता की धारा 30 की उपधारा 1 और 2 के बारे में विस्तार से वर्णन। Up Rajsv sanhita 2006 dhara 30।UP revenue code 2006 section 30 ।Map and field book kya hai section 30(1)। Partition scheme of minjumla numbers section 30(2)


उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 30-


मानचित्रऔर खसरा का अनुरक्षण (Maintenance of Map and Field Book)


उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 30 में मानचित्र और खसरे का अनुरक्षण का वर्णन है इसकी दो उप धाराएं हैं जो निम्नलिखित हैं।



धारा 30(1)-
धारा 30(1) के अनुसार कलेक्टर प्रत्येक ऐसे ग्राम के लिए विहित रीति से मानचित्र और खसरा रखेगा और उसमें प्रतिवर्ष या ऐसे अंतराल पर जैसा विहित किया जाए, गांव की सीमा में या सर्वेक्षण संख्या में हुए समस्त परिवर्तनों को अभिलिखित करेगा और किन्ही गलतियों और लोपों को जो समय-समय पर पाई जाए ठीक भी ठीक कराएगा।


राजस्व संहिता 2006 की धारा 30(1) के अंतर्गत कलेक्टर या जिलाधिकारी प्रदेश के सभी राजस्व ग्रामों के लिए एक क्षेत्रिक पंजी (खसरा) आर.सी.प्रपत्र -4 में तैयार करेगा तथा उनको अनुरक्षित किया जाएगा। इस धारा के अंतर्गत नक्शे तथा खसरा बनाने जाते है और उनका रखरखाव या संशोधन आदि किया जाता है। इसके अंतर्गत प्रपत्र RC-4 खसरा तैयार किया जाएगा। इससे पूर्व में खसरा जमीदारी विनाश आकार पत्र प-क-3 पर बनाई जाती थी जो अभी तक चल रही है अब इसे कंप्यूटरीकृत किया जाने जा कार्य किया जा रहा है।


धारा 30(2)- धारा 30(2) के अनुसार मिनजुमला संख्या का विहित रीति से भौतिक विभाजन किया जाएगा तथा मानचित्र और खसरा सहित राजस्व अभिलेखों में संशोधन किया जाएगा।


राजस्व संहिता 2006 की धारा 30(2) के अनुसार खातेदारों के बीच गाटे के भौतिक विभाजन की व्यवस्था है। इसमें कहा गया है की मिनजुमला गाताओं का निर्धारित तरीके से भौतिक विभाजन किया जाएगा और मानचित्र व खसरा सहित राजस्व अभिलेखों को उसके मुताबिक संशोधित किया जाएगा। राजस्व संहिता नियमावली में इसका तरीका भी बताया गया है।

             गांव में अक्सर मिनजुमला यानी मिले-जुले खातेदारों वाले गाटे होते हैं एक ही गाटे में कई सह खातेदार होते हैं लेकिन यह निश्चित नहीं होता है कि इसमें किस का हिस्सा किस तरफ है। इससे जमीन के बंटवारे को लेकर आए दिन विवाद होते रहते हैं।इसमें दिक्कत यह भी आती है कि यदि कोई अपना हिस्सा बेचना चाहें तो यह तय नहीं हो पाता है कि वह किस तरह की जमीन बेचे। ऐसा ही असमंजस  की स्थिति खरीदने वालों के सामने भी होता है यदि उसने किसी व्यक्ति से कोई जमीन खरीदी तो बाद में उस गाटे का कोई अन्य खातेदार यह दावा कर सकता है कि वह भूमि तो उसके हिस्से की थी। सह खातेदारों के बीच जमीन के बंटवारे के लिए अभी SDM के यहां धारा 116 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करना पड़ता है।धारा 30(2) के अनुसार मिनजुमला विभाजन के बाद समस्याओं कम होगी।



मिनजुमला गाटों के विभाजन की स्कीम धारा 30(2)


मिनजुमला गाटों के विभाजन की प्रक्रिया (Partition scheme of minjumla numbers)


☛☛ परिषद सामान्य अथवा विशेष आदेश द्वारा कलेक्टर को यह निर्देश देगा कि मिनजुमल गाटों का भौतिक रूप से विभाजन किया जाएगा और राजस्व अभिलेख इसके अनुसार संशोधित किए जाएंगे।

☛☛ प्रक्रिया के अंतर्गत आदेश होने पर कलेक्टर प्रत्येक गांव के लिए मिनजुमला भूखंडों की एक विभाजन स्कीम तैयार कर आएगा।


☛☛ मिनजुमला गाटों की विभाजन स्कीम तैयार कराने के लिए प्रारंभिक विभाजन स्कीम लेखपाल द्वारा RC-5 प्रपत्र में तैयार की जाएगी।

☛☛ मिनजुमला गाटों की प्रारंभिक विभाजन स्कीम लेखपाल द्वारा संबंधित खातेदारों एवं भूमि प्रबंधक समिति के परामर्श से तैयार की जाएगी।

☛☛ मिनजुमला गाटों की प्रारंभिक विभाजन स्कीम तैयार करने में निम्नलिखित सिद्धांतों को अपनाया जाएगा-

  • प्रत्येक खातेदार को आवंटित भाग यथासंभव संहत होगा।
  • यथासंभव किसी भी खातेदार को सभी निम्न श्रेणी की अथवा सभी उच्च श्रेणी की भूमि आवंटित नहीं की जाएगी।
  • यदि मिनजुमला गाटों के खातेदार आपसी विभाजन के आधार पर मौके पर अलग-अलग कब्जे में है तो उसे यथासंभव अलग-अलग कब्जे के अनुसार आवंटित किया जाएगा।
  • प्रत्येक खातेदार को यथासंभव उस स्थान पर क्षेत्र आवंटित किया जाएगा जहां पर उसकी सिंचाई का वैयक्तिक स्रोत अथवा कोई अन्य सुधार स्थित होगा।
  • यदि भूखंड या उसका कोई भाग वाणिज्यिक मूल्य का है अथवा सड़क आबादी या वाणिज्यिक भूमि की अन्य भूमि से लगा हुआ है तो यथासंभव उसे ऐसी सड़क आबादी या वाणिज्यिक मूल्य की अन्य भूमि से लगा हुआ आनुपातिक रूप से प्रत्येक खातेदार को आवंटित किया जाएगा।
☛☛ एक मानचित्र तैयार करेगा और उसे अभिलेख पर रखेगा जिसमें प्रत्येक खातेदार को दिए गए क्षेत्रफल को भिन्न-भिन्न रंगों में दर्शाया जाएगा।


☛☛ मिनजुमला गाटों की प्रारंभिक विभाजन स्कीम तैयार होने के बाद खातेदार पर RC-6 प्रपत्र में नोटिस के तमिला के दिनांक से 15 दिनों की अवधि के अंदर आपत्ति यदि कोई हो तो आमंत्रित करते हुए मिनजुमला गाटे के प्रत्येक खातेदार को नोटिस निर्गत की जाएगी।


☛☛ नोटिस के अनुसरण में अथवा अन्य प्रकार से आपत्ति प्राप्त करने के बाद राजस्व निरीक्षक ग्राम राजस्व समिति के परामर्श से पक्षों के बीच सुलह के आधार पर आपत्तियों का निस्तारण कराएंगे।


☛☛ सुलह के आधार पर राजस्व निरीक्षक द्वारा तय की जाने वाली सभी आपत्तियां प्रारंभिक विभाजन स्कीम के साथ उप जिलाधिकारी के माध्यम से कलेक्टर को अग्रसारित कर दी जाएगी।


☛☛ कलेक्टर संबंधित पक्षकारों को सुनाई का अवसर प्रदान करने के बाद आपत्ति यदि कोई हो तो तय करेगा और इसके बाद या तो मिनजुमला गाटों की प्रारंभिक विभाजन स्कीम की पुष्टि करेगा या ऐसा आदेश पारित करेगा जैसा वह उचित समझें।


☛☛ इसके बाद मानचित्र खसरा और खतौनी को मंजू मुलाकातों की विभाजन स्कीम के अनुसार संशोधित किया जाएगा।


☛☛ इस नियम के अंतर्गत पारित कोई आदेश संहिता की धारा 210 के अंतर्गत पुनरीक्षण के अधीन अंतिम निर्णय होगा।



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