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उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 क्या है।UP Revenue code 2006 Section 24

राजस्व संहिता 2006 धारा 24 क्या है।खेत की सरकारी नाप कैसे की जाती है।UP Revenue code 2006 Section 24।राजस्व संहिता 2006 की धारा 24।





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नमस्कार साथियों इस पोस्ट में हम आपको उत्तर प्रदेश राजस्व संहिया 2006 की धारा 24 के बारे में बताने जा रहे हैं।उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 क्या है। उ. प्र. राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 द्वारा खेत की सीमा विवाद का निपटारा कैसे किया जाता है।UP Revenue code 2006 की धारा 24 के द्वारा खेत की नाप कैसे करवाएं।खेत की सरकारी नाप कैसे की जाती है। up revenue code 2006 ki dhara 24 kya hai।up revenue code 2006 section 24।





Main Point-
उत्तरप्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 क्या है?
राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 के लिए आवेदन कैसे करें? 
राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 के आवेदन के लिए आवश्यक कागजात कौन कौन से है?
धारा 24 के अंतर्गत मेड़बंदी के लिए सरकारी शुल्क क्या है?
राजस्व संहिता की धारा 24 के अंतर्गत सरकारी नाप की पूरी प्रक्रिया है? विस्तार से वर्णन


उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 क्या है-

धारा 24 -सीमा विवादों का निपटारा(Settlement of boundary dispute)- 

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के अध्याय-4 (सीमा और सीमा चिन्ह) में धारा-24 का वर्णन हैं।यह धारा पूर्व प्रचलित अधिनियम भू राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 41 थी।UP Land Revenue act 1901 की धारा 41 ही UP Revenue code 2006 की धारा 24 है।वर्तमान में प्रचलित उत्तरप्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 के अंतर्गत खातेदार की भूमि पर सीमा विवाद का निपटारा किया जाता है।इस धारा के अंतर्गत कार्यवाही उपजिलाधिकारी महोदय द्वारा आवेदन के दिनाँक से 90 दिन के भीतर समाप्त कर ली जाएगी। उपजिलाधिकारी के आदेश से असंतुष्ट व्यक्ति उपजिलाधिकारी  महोदय के आदेश के दिनाँक से 30 दिन के भीतर आयुक्त के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकता है,तब आयुक्त का आदेश अंतिम आदेश होता है।


धारा 24 में कार्यवाही की प्रक्रिया-

राजस्व संहिता की धारा 24(1) के अंतर्गत सीमा विवाद के निपटारे के लिए प्रार्थना पत्र उपजिलाधिकारी को दिया जाता है जिसमे निम्न विवरण अंकित किया जाता है-

  • आवेदक का नाम,पिता/पति का नाम व पता
  • भूखण्ड संख्या ,क्षेत्रफल तथा भूमि की सीमाएं
  • विवाद का संक्षिप्त विवरण
प्रार्थना पत्र के साथ नक्शे, खसरा तथा खतौनी की प्रमाणित प्रतिलिपि संलग्न किया जाना आवश्यक है,जिसके आधार पर सीमांकन किया जाना है। इसके साथ ही ₹1000  प्रति भूखण्ड के हिसाब से शुल्क जमा करके रसीद देनी होती है।

संहिता की धारा 24 के अंतर्गत सीमाओं के निर्धारण का प्रार्थना पत्र तब कब स्वीकार नही किया जाएगा जब तक कि उसके साथ मानचित्र (नक्शा), खसरा, खतौनी की प्रामाणिक प्रति संलग्न नही की जाती है जिसके आधार पर सीमांकन की मांग की गई है तथा प्रार्थी द्वारा प्रति गाटा संख्या के लिए सरकारी शुक्ल 1000 रु जमा ना कर दिया हो।

प्रार्थना पत्र के प्राप्त होने पर संबंधित कर्मचारी प्रार्थना पत्र में यह जांच करेगा कि क्या अपेक्षाओं को पूर्ण किया गया है या नहीं। यदि कोई औपचारिक प्रकृति की कमी है तो प्रार्थी या उसके अधिवक्ता को तुरंत उस कमी को दूर करने की इजाजत दी जाएगी । जैसे ही औपचारिकताएं पूर्ण कर ली जाती हैं तो उपजिलाधिकारी न्यायालय से संबंधित कर्मचारी प्रार्थना पत्र को संबंधित रजिस्टर में दर्ज करता है तथा उसे समुचित आदेश के लिए उप जिलाधिकारी महोदय के समक्ष प्रस्तुत करता है।

उप जिलाधिकारी राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) को है निर्देश देगा कि तिथि नियत करने के बाद और सभी संबंधित खातेदारों पर उसके संबंध में नोटिस तामील करने के बाद भूखंड के सीमांकन का कार्य करें। यह कार्य उप जिलाधिकारी द्वारा पारित किए गए आदेश के दिनांक से 1 माह की अवधि के अंदर पूर्ण किया जाएगा।

भूखंड का सीमांकन करते समय राजस्व निरीक्षक द्वारा स्थल ज्ञापन तैयार किया जाएगा और उस पर सभी संबंधित पक्षकारों एवं प्रबंधक समिति के अध्यक्ष अथवा सीमांकन के समय उपस्थित किन्हीं दो स्वतंत्र गवाहों के द्वारा हस्ताक्षर किया जाएगा यदि कोई पक्ष स्थल ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है तो राजस्व निरीक्षक द्वारा उक्त आशय का पृष्ठांकन कर दिया जाएगा ।

राजस्व निरीक्षक सीमांकन के दिनांक से 15 दिनों की अवधि के अंदर स्थल ज्ञापन(बयान) सहित अपनी सीमांकन आख्या उप जिलाधिकारी न्यायालय में प्रेषित करेगा ।राजस्व निरीक्षक की आख्या में प्रत्येक प्रभावित पक्ष कार का नाम और पता लिखा जाएगा।

राजस्व निरीक्षक के आख्या प्राप्त होने के एक सप्ताह के अंदर आख्या पर आपत्ति आमंत्रित करते हुए सभी प्रभावित पक्षों को नोटिस जारी की जाएंगी तथा प्रभावित पक्षों को 15 दिनों के अंदर आपत्ति दर्ज करने के लिए कहा जाएगा।

नियत दिनांक पर उपजिलाधिकारी संहिता की धारा 24 (2) के प्रावधानों के अनुसार सीमाओं के संबंध में विवाद को तय करेगा और आख्या के विरुद्ध दाखिल की गई आपत्तियों पर विचार करेगा तथा संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद समुचित आदेश पारित करेगा।




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4 Comments

  1. सुन्दर एवं सटीक जानकारी दी गई है. धन्यवाद

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  2. sumit123123rawat@gmail.com

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