भू राजस्व या मालगुजारी क्या होती है।भूराजस्व क्या है।भूराजस्व और लगान में क्या अंतर है।What is land revenue। What is Bhu Rajasva।What is different between Land revenue and Lagaan
इस पोस्ट में हम भू राजस्व या मालगुजारी के बारे में बताने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भूमि पर लगने वाला राजस्व क्या होता है।भू राजस्व किसे कहते है Bhurajasv kya hota hai।मालगुजारी क्या होती है Malgujari kya hoti hai। मालगुजारी किसे कहते हैं।भूराजस्व और लगान में क्या अंतर होता है।Bhurajasv aur Lagaan me antr।भू राजस्व का बसूली करने बाले अधिकारी कौन हैं।भू राजस्व की बसूली की प्रक्रिया क्या है।भू राजस्व की वसूली किसके द्वारा की जाती है।What is Land revenue।What is defferent between Bhu Rajsv and Lagaan।lagaan kya hota hai ।जो लोग Lekhpal हैं या Up Lekhpal bharti exam की तैयारी कर रहे है उनके लिए ये जानकारी बहुत ही जरूरी है।लेकिन यह जानकारी सभी को होनी जरूरी है।
भू राजस्व क्या है। What is Land Revenue।मालगुजारी और लगान में क्या अंतर है।
भू राजस्व एक ऐसा कर है जो भूमि पर या उसी की उपज पर लगाया जाता है जमीदारी विनाश के पूर्व जोतदार जो रकम जमींदार को देता था उसे लगान कहते थे और जमीदार जो रकम सरकार को देता था उसे मालगुजारी या भू राजस्व कहते थे।
जमीदारी व्यवस्था समाप्त होने के बाद भूमिधर जो वार्षिक रकम सरकार को देते हैं उसे मालगुजारी या भू राजस्व कहते हैं। इसी प्रकार आसामी गाँव सभा या मुख्य कृषक को जो रकम देता है उसे लगान कहते हैं।
सभी खातेदारों या भूमिधर पर भू राजस्व का निर्धारण उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 154 के अनुसार किया जाता है।तथा भू राजस्व भुगतान की प्रक्रिया धारा 165 के अनुसार होती है और बसूली की प्रक्रिया उत्तरप्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 170 के अनुसार की जाती है।
मालगुजारी दो किस्तों में देय होती है-
- खरीब क़िस्त - 40%
- रवी क़िस्त। - 60%
मालगुजारी के लिए वर्ष 1 जुलाई से प्रारंभ होकर 30 जून को समाप्त होता है जो कि एक फसली वर्ष होता है इसमें पहली किस्त खरीब की तथा दूसरी किस्त रवी की होती है।
भू राजस्व वसूलने वाले अधिकारी कौन कौन होते है
राज्य में मालगुजारी य भू राजस्व की वसूली का दायित्व राज्य सरकार का होता है जिले की मालगुजारी वसूली का दायित्व कलेक्टर का होता है।इसी प्रकार तहसील की मालगुजारी वसूली का दायित्व तहसीलदार का होता है। तहसील में मालगुजारी या भू राजस्व की वसूली के लिए राजस्व लेखपाल द्वारा जमाबंदी तैयार की जाती है।जिसकी वसूली अमीन द्वारा की जाती है।अमीनों का सर्वेक्षण नायब तहसीलदार द्वारा किया जाता है।
भू राजस्व भुगतान तथा वसूलने की प्रक्रिया-
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 165 में भू राजस्व के भुगतान का वर्णन है। हमरे द्वारा सामान्य रूप से भू राजस्व का भुगतान उस तहसील के कार्यालय में किया जाता है जिस तहसील में वह भूमि स्थित है। भू राजस्व की धनराशि का भुगतान सीधे अमीन को किया जा सकता है जो तहसील में जमा करते हैं जिसे इसके लिए नियुक्त किया जाता है।
जब भू राजस्व सामान्य रूप से मांगने पर वसूल ना हो और उसके भुगतान के निर्धारित तिथि समाप्त हो जाए तो भू राजस्व बकाया रह गया समझा जाता है।उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा में बकाया भू राजस्व या मालगुजारी वसूलने की प्रक्रिया का वर्णन है।जिसमे भू राजस्व वसूली के सात तरीके है जिनमे से एक या एक से अधिक तरीके से मालगुजारी बसूल की जाती है।वसूली के सात तरीके निम्न है-
(1) माँग पत्र और उपस्थित पत्र
(2) गिरफ्तारी और निरोधन
(3) चल संपत्ति की कुर्की और विक्रय
(4) जोत की कुर्की तथा पत्ता
(5) जोत की कुर्की तथा विक्रय
(6) अन्य अचल संपत्ति की कुर्की तथा विक्रय
(7) रिसीवर की नियुक्ति
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