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खसरा और खतौनी किसे कहते हैं।Khasra Khatauni kya hoti hai

खसरा खतौनी क्या होती है।खसरा और खतौनी में क्या अंतर है।Khasra kya hota hai। Khatauni kise kehte hai।up bhulekh

Khasara khatauni kise kehte hai


नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में हम उत्तर प्रदेश में जमीन का राजस्व विभाग से संबंधित रेकॉर्ड खसरा और खतौनी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं इस पोस्ट में हम बताएंगे कि खसरा क्या होता है? खसरा किसे कहते हैं Khasra kya hota hai। खसरा किसे कहते हैं। खसरा संख्या क्या होती है? भूमि संख्या या गाटा संख्या किसे कहते हैं? तथा अपनी जमीन का खसरा बनवाने का तरीका बताया जाएगा इसके साथ ही खतौनी किसे कहते हैं? Khatauni kise kehte hai। खाता संख्या क्या होती है अपनी जमीन की खतौनी कैसे निकलवाए इस संबंध में पूरी जानकारी दी जाएगी।इसके लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें और किसी जानकारी के लिए कॉमेंट भी करें।

खसरा और खतौनी की जानकारी सभी को होना जरूरी है जिसके पास कृषि भूमि है उन्होंने खसरा खतौनी कभी न कभी देखे होंगे और जो up lekhpal बनने  की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए ये पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण है ।


खतौनी किसे कहते है। Khatauni kise kehte hai

खतौनी आकार पत्र प-क-11 पर लेखपाल द्वारा भू अभिलेख नियमावली के परिच्छेद क-121 से क-160 तक में दिए गए नियमों के अनुसार गांव बार षटवार्षिक तैयार की जाती है ।
खतौनी को अधिकार अभिलेख भी कहते है। इसमें 13 कॉलम होते है। राजस्व संहिता 2006 की धारा 31(1) के अनुसार RC प्रपत्र- 7 में 14 कॉलम होते है। इसमें अंश निर्धारण का एक कॉलम और बढ़ जाता है।चूंकि उत्तर प्रदेश में खतौनी अंश निर्धारण का कार्य अभी चल रहा है इसलिए अभी प-क-11 वाली खतौनी ही प्रचलन में है।


यह उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की 2006 की धरा 31(1) के अनुसार RC प्रपत्र 7 में  तैयार की जाती है ।यह खातेदारों की जोतबार तैयार किया जाने वाला रिकॉर्ड होता है इसमें ग्राम के सभी खातेदारों की जोतों  का विवरण रहता है ।खतौनी विवरण  के आधार पर ही भूमि के स्वामित्व का पता चलता  है।उत्तर प्रदेश में खतौनी प्रत्येक छ वर्ष बाद तैयार की जाती है वर्तमान समय में खतौनी ऑनलाइन तैयार की जाती है।  प्रत्येक राजस्व ग्राम की एक खतौनी होती है इसमें खातेदरों के नाम की सभी भूमियों को  हिंदी वर्णमाला के क्रम में  खाते के रूप में  लिखा जाता है इस प्रकार किसी किसान के खतौनी खाते में कई गाटा संख्या हो सकती है ।खतौनी देखकर किसान या खातेदार की भूमि के स्वामित्व या मालिकाना का पता लगा सकते हैं।

खतौनी आकार पत्र प-क-11 पर लेखपाल द्वारा भू अभिलेख नियमावली के परिच्छेद का- 121 से क-160 तक में दिए गए नियमों के अनुसार गांव बार षटवार्षिक तैयार की जाती है। जमीदारी विनाश क्षेत्र में यह पिछली षटवार्षिक खतौनी से तैयार की जाती है इसमें 13 कॉलम होते है। खतौनी के स्तंभ 1 से 6 तक में लिखे गए विवरण तथा स्तंभ 7 से 12 तक में लिखे सक्षम अधिकारियों के आदेशों को समाविष्ट करते हुए नए खतौनी में लिख दिए जाते हैं। किसी खातेदार की मृत्यु हो गई हो और उसके वारिसान का नाम दर्ज किए जाने का आदेश पिछली खतौनी के स्तंभ 7 से 12 तक में लिखा हो तो नई खतौनी बनाते समय उसमें मृतक खातेदार का नाम हटा दिया जाता है तथा उसके स्थान पर उसके वारिसों के नाम नए खतौनी में वरासत अनुसार लिख दिया जाता है।


खसरा क्या होता है ।Khasra kya hota hai

खसरा को क्षेत्र पंजी भी कहते हैं जो आकार पत्र प-3 पर जमीदारी क्षेत्रों के लिए तथा आकार पत्र प-क-3 पर जमीदारी विनाश क्षेत्रों के लिए क्रमशः भू अभिलेख नियमावली के परिच्छेद 55 से 102 तथा क- 55 से क-102ग के अनुसार तैयार किया जाता है। इसमें जमींदारी क्षेत्र के आकार पत्र 3 दिन में 22 तथा जमीदारी विनाश क्षेत्र के आकर पत्र प-क-3 में 21 स्तंभ होते हैं। जमीदारी क्षेत्र के खसरे में खेवट खातेदार का एक स्तंभ चार बढ़ जाने से 22 स्तम्भ होते हैं ।अभी तक यह हस्तलिखित तैयार की जाती है,लेकिन अब इसके कंप्यूटरीकरण का कार्य राजस्व संहिता की धारा 30(1) के अनुसार RC प्रपत्र 4 में कार्य चल रहा है।प्रपत्र RC-4 का खसरा का कार्य पूरी तरह डिजिटल होने के बाद इसका उपयोग किया जाएगा।

इसमें किसानो के सभी खेतों मे बोई जाने बाली रवी, खरीब और जायद फसलो का विवरण भरा जाता है तथा खेत मे सिचाई का साधन लिखा जाता है। इसके अलावा खाली भूमि, सरकारी भूमि, तालाब आदि का विवरण भी रहता है।

इसकी प्रमाणित प्रति लेखपाल से प्राप्त की जा सकती है।
खसरा में किसी राजस्व ग्राम की सभी गाटा संख्या या खेत संख्या क्रमशः लिखी जाती है तथा उसमें खातेदार का नाम लिखा जाता है।खसरा का मुख्य उद्देश्य गांव की भूमि का उपयोग किस हेतु किया जा रहा है इसका विवरण रहता है। इसमें किसान जो फसल अपने खेत मे उगता है उनका पूरा विवरण लिखा जाता है।इसमें खरीफ फसल, रवी फसल ,जायद फसल का विवरण के साथ ही उस भूमि का उपयोग किसी अन्य प्रकार से आबादी,सड़क या तालाब आदि के रूप में किया जाता हो तो उसका विवरण लिखा जाता है।




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