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मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना




नमस्कार दोस्तो, इस पोस्ट में हम उत्तरप्रदेश की महत्वपूर्ण योजना मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के बारे में बताएंगे आज के लेख के महत्वपूर्ण बिंदु-
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना क्या है?
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ कब मिलता है?
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के लिए पात्रता क्या है?
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज कौन-कौन से हैं ?
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना के अंतर्गत कितनी राशि का भुगतान किया जाता है?
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना के लिए आयु सीमा क्या है?
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना उत्तर प्रदेश शासनादेश 
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना में धनराशि का भुगतान किसके द्वारा किया जाता है?



मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना (Mukhyamantri Krishak Dirghatna Kalyan Yojna Uttar Pradesh)

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना उत्तर प्रदेश के निवासी कृषकों के लिए हैं जो दुर्घटना बस मृत या दिव्यांग हो जाते हैं ।उत्तर प्रदेश में कृषकों की दुर्घटना से मृत्यु या दिव्यांगता की दशा में मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ मृतक के वारिसों को दिया जाता है इस योजना के अंतर्गत अधिकतम ₹500000/- (पाँच लाख रुपये) की सहायता राशि भुगतान की जाती है। यह योजना दिनांक 14 सितंबर 2019 से प्रभावी है। इससे पूर्व ये योजना मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा के नाम से चल रही थी,जिसका नाम बदलकर मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना कर दिया गया साथ ही इस योजना में कुछ संसोधन भी किये गए हैं।


मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के लिए पात्रता-


  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना में पात्रता के लिए उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए।
  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना कृष्ण की मृत्यु या दिव्यांगता की तिथि को मृतक की आयु 18 वर्ष से 70 वर्ष तक होना चाहिए।
  • राजस्व अभिलेखों या खतौनी में खातेदार का नाम दर्ज होना चाहिए अर्थात उत्तर प्रदेश में मृतक के नाम कृषि भूमि दर्ज होनी चाहिए अथवा ऐसे भूमिहीन व्यक्ति जो पट्टे से प्राप्त भूमि पर अथवा बटाई पर क़ृषि कार्य करते हैं तथा जिनकी जीविका का मुख्य साधन पट्टे पर या बटाई पर ले गई भूमि पर कृषि कार्य है।
  • मृतक के बटाईदार होने पर भूस्वामी या उसकी विधिक वारिसों के द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र लिया जाएगा की दुर्घटना में मृत अथवा दिव्यांग होने वाले व्यक्ति द्वारा दुर्घटना के फसली वर्ष में जमीन पर बटाई पर कृषि कार्य किया है।
  • कृषक की मृत्यु या दिव्यांगता यदि आत्महत्या या आपराधिक कार्य स्वयं करते समय होती है तो ऐसी दशा में इस योजना के अंतर्गत कोई लाभ नहीं दिया जाएगा।


मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ किस प्रकार की दुर्घटना में मिलता है (कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का आच्छादन)

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ शासनादेश के अनुसार निम्न कारणों से मृत्यु होने या दिव्यांग होने पर दिया जाएगा-
  • सड़क दुर्घटना, रेल ,वायुयान या अन्य वाहन से दुर्घटना
  • आग लगने
  • बिजली गिरने
  • बिजली का करंट लगने 
  • सांप के काटने 
  • बाढ़ में डूबने से 
  • समुद्र ,नदी ,झील ,तालाब ,पोखर व कुएं में डूबने से
  • आंधी तूफान 
  • वृक्ष के गिरने से ,मकान गिरने से
  • भूस्खलन भूकंप
  • गैस रिसाव विस्फोट चेबर में गिरने

(1) यदि आग लगने, बाढ़, बिजली के करंट लगने ,सांप के काटने, जीव जंतु या जानवर द्वारा काटने ,समुद्र ,नदी ,तालाब पोखर व कुएं में डूबने आंधी तूफान वृक्ष से गिरने या दबने, मकान गिरने ,रेल, सड़क ,वायुयान या अन्य वाहन आदि से दुर्घटना , भूस्खलन ,भूकंप, गैस रिसाव ,विस्फोट, सीवर चेम्बर में गिरने अथवा अन्य किसी कारण से कृषक की दुर्घटनावश मृत्यु या दिव्यांगता होती है तो मृतक के विधिक वारिसों को इस योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

(2) दुर्घटनावश मृत्यु या दिव्यांगता के प्रकार प्रकृति इत्यादि के संबंध में कोई विवाद उत्पन्न होता है तो संबंधित जिला अधिकारी का निर्णय अंतिम निर्णय होगा।

(3) कृषक की मृत्यु या दिव्यांगता यदि आत्महत्या या आपराधिक कार्य करते हुए होती है तो ऐसी दशा में इस योजना के अंतर्गत कृषक को कोई सहायता नहीं दी जाएगी।



मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के लिए आवश्यक कागजात-

(1) खतौनी की प्रमाणित प्रति 
                       अथवा 
       रजिस्टर्ड निजी पट्टेदार हेतु पट्टे की प्रमाणित प्रति 
                        अथवा 
       बटाईदार हेतु  बटाई संबंधी प्रमाण पत्र

(2) आयु प्रमाण पत्र

      निम्न में से कोई एक साक्ष्य देना है-
  • वोटर आईडी कार्ड
  • ड्राइविंग लाइसेंस 
  • पैन कार्ड 
  • आधार कार्ड 
  • परिवार रजिस्टर की प्रति 
  • हाई स्कूल प्रमाण पत्र       

(3) निवास प्रमाण पत्र

       निम्न में से कोई एक साक्ष्य देना है 
  • उप जिलाधिकारी द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र
  • राशन कार्ड 
  • वोटर आई डी कार्ड      
  • आधार कार्ड   

(4) पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा पंचनामा

(5) मृत्यु प्रमाण पत्र


(6)कुटुंब परिवार रजिस्टर की प्रति

(7) बैंक पासबुक की छायाप्रति-  
  • बैंक का नाम 
  • बैंक शाखा का नाम
  • खाता संख्या, 
  • IFSC  कोड सहित

(8) आधार कार्ड

(9) मोबाइल नम्बर

(10) दिव्यांगता की स्थिति में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को द्वारा जारी प्रमाण पत्र।



आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की अवधि-

कृषक की दुर्घटना वस्तु अथवा दिव्यांगता होने पर कृषक के विधिक वासियों को आवेदन पत्र निर्धारित प्रमाणपत्रों को पूर्ण करा कर दो प्रतियों में मूल प्रति एवं छाया प्रति अधिकतम 45 दिन की अवधि में संबंधित तहसील कार्यालय में जमा करना होगा ।अपरिहार्य परिस्थितियों में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की अवधि को 1 माह तक बढ़ाने का अधिकार जिलाधिकारी में निहित होगा ।इसके पश्चात किसी भी दशा में आवेदन पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा।




योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता-

इस योजना के अंतर्गत कृषक की दुर्घटनावश मृत्यु या दिव्यांगता की दशा में अधिकतम ₹500000/- (पाँच लाख रुपये) की अधिकतम सहायता राशि निम्नानुसार देय होती है जो कि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है-

क्र. सं.

दुर्घटना के कारण मृत्यु/ दिव्यांगता की स्थिति

देय धनराशि   का प्रतिशत

1

मृत्यु की स्थिति में अथवा पूर्ण शारीरिक अक्षमता की स्थिति

100 %

2

दोनों हाथ अथवा दोनों पैर अथवा दोनों आंखों की क्षति

100 %

3

एक हाथ तथा एक पैर की क्षति

100 %

4

एक हाथ या एक पैर या एक आँख की क्षति

50 %

5

स्थाई दिव्यांगता 50% से अधिक होने पर किन्तु 100% से कम होने पर

50 %

6

स्थाई दिव्यांगता 25% से अधिक होने पर किंतु 50% से कम होने पर

25 %





आवेदन पत्र के निस्तारण की प्रक्रिया-

कृषक की दुर्घटना बस मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में आवेदन पत्र के निस्तारण की प्रक्रिया निम्न है-


  • कृषक की दुर्घटना बस मृत्यु अथवा दिव्यांगत होने पर मृतक के विधिक वारिसों के द्वारा आवेदन पत्र निर्धारित अवधि के अंदर सभी आवश्यक प्रपत्र पूर्ण कराकर संबंधित तहसील कार्यालय में जमा किया जाएगा। इस प्रकार की दुर्घटना होने पर लेखपाल को सूचित किया जाएगा लेखपाल के माध्यम से भी आवेदन करपत्र भरा जा सकता है।
  • आवेदन पत्र तहसील में जमा करने के बाद तहसीलदार अपने अधीनस्थ कर्मचारियों या लेखपाल के माध्यम से आवेदन पत्र में दी गई सूचना व साक्ष्यों का परीक्षण ,जांच कराकर अपनी स्पष्ट संस्तुति उप जिलाधिकारी महोदय को प्रेषित करेंगे आवेदन पत्र एवं संलग्न अभिलेखों की एक छाया प्रति सहित पत्रावली तहसील मैं संरक्षित की जाएगी।
  • उप जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन पत्रावली प्राप्त होने पर उप जिलाधिकारी द्वारा अपने विवेकानुसार तहसील स्तर से जिन अधिकारियों कर्मचारियों से जांच कराई गई है उनको छोड़कर अपने अधीनस्थ किसी भी अधिकारी कर्मचारी से आवेदन पत्र में दर्शाए गए विवरण एवं पात्र अपात्र की पहचान हेतु क्रॉस चेकिंग कराई जाएगी और संतुष्ट होने पर अपनी स्पष्ट आख्या सहित आवेदन पत्रावली जिलाधिकारी महोदय को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाएगी।
  • जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन पत्रावली प्राप्त होने के उपरांत आवेदन पत्र का परीक्षण कर नियम अनुसार निस्तारण और भुगतान जिलाधिकारी द्वारा किया जाएगा आवेदन पत्र के प्रकट होने की दशा में कृषक के विधायक वासियों के खाते में सहायता राशि का भुगतान ऑनलाइन कर दिया जाएग।


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