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नम्बर अन्दाजी या संख्यांकन क्या होता है।नक्शा या शजरे में संख्यांकन( Numbering) करने की क्या प्रक्रिया है।Number andaji kya hoti hai

नम्बर अन्दाजी या संख्यांकन क्या होता है।नक्शा या शजरे में संख्यांकन( Numbering) करने की क्या प्रक्रिया है।नम्बर अन्दाजी की परिभाषा और उद्देश्य। नक्शे पर गाटांकन क्यों आवश्यक है इससे क्या लाभ हैं।




नम्बर अन्दाजी या संख्यांकन क्या होता है





नम्बर अन्दाजी या संख्यांकन क्या होता है। Nakshe me Numbering kya hoti hai


किसी स्थान का नक्शा (शजरा) बनाने के लिए की जाने वाली नापजोख की प्रक्रिया भूमि सर्वेक्षण कहलाती है।सर्वेक्षण करके सर्वेक्षण स्थल का फोटो मानचित्र (नक्शे) में बना लिया जाता है।जब समस्त ग्राम या किसी भूखण्ड का गाटांकन( Plotting) का कार्य पूरा हो जाता है तब प्रत्येक गाटा में संख्यायें डालने का कार्य किया जाता है। तो इसे नम्बर अन्दाजी या संख्यांकन (Numbering) कहते हैं।          


मानचित्र (Map) या नक्शा किसी क्षेत्र का क्षैतिजिक प्रक्षेप होता है जिस पर केवल क्षैतिजिक दूरियाँ और कोणिक स्थिति ही दिखाई जा सकती है। नक्शा एक कपडे पर बनाया जाता है इसे ट्रेसिंग क्लॉथ भी कहते है। इसमें 0.2mm के होल्डर से नक्शा बनाया जाता है। नक्शे की बाउण्डी मोटी होता है जिसे 0.5mm के होल्डर से बनाया जाता है। । नक्शे को बनाने में ब्लैक कलर की बाटरप्रूफ इंक (वीटो इंक) का उपयोग किया जाता है। जमीन पहचानने के लिए प्रत्येक जमीन (नाली, नदी, रेलवे) इत्यादि को एक नम्बर दिया जाता है। नक्शे में बायीं तरफ झण्डी होती है और दायीं ओर नीचे एक स्केल बनी होती है।




नम्बर अन्दाजी की परिभाषा (Definition of Number andaji) -


भूचित्र में क्रमागत सही संख्यायें अंकित करने की क्रिया को 'नम्बर अन्दाजी कहते हैं। दूसरे शब्दों में हम इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि भूचित्र के गाटाओं का संख्याओं द्वारा नामकरण करने को नम्बर अन्दाजी (संख्यांकन) कहते हैं।




नम्बर अन्दाजी के उद्देश्य और आवश्यकता

(Objectives and Needs of Numbering) -


भूचित्र या शजरे की शीट पर बने हुए विभिन्न गाटाओं का संख्यांकन कर प्रत्येक की स्थिति का अभिज्ञान हो जाना, इसका उद्देश्य है। संख्यायें पड़ने पर किसी विशेष संख्या से उसी खेत का बोध होगा, जिस पर वह संख्या अंकित है अन्यथा खेतों की स्थिति का बोध नहीं होगा एंव उनकी पहचान करना सम्भव नही हो पायेगा है और न ही उससे अभिलेख तैयार नहीं हो सकेंगे। भूखण्ड की आकृति शीट पर निरूपित करने के लिए सर्वेक्षण किया जाता है, क्षेत्र पंजी (फील्ड बुक) बनाई जाती है और फिर उसके आधार पर किसी भूखण्ड या गाँव का गांटाकन (Plotting) किया जाता है। इस प्रकार इंगित पैमाने से भूखण्ड की आकृतियाँ रेखण पत्र (आर्ट पेपर) पर बन जाती है। इससे हमें किसी स्थान की स्थिति का स्थल पर यह ज्ञान हो जाता है कि अमुक खेत कहाँ स्थित है किन्तु उसका विवरण उससे ज्ञात नहीं होता क्योंकि क्षेत्र में छोटे बड़े सभी प्रकार के खेत होते हैं और उनका पूर्ण विवरण मानचित्र में अंकित करना सम्भव नहीं है। इसलिए संख्या डालने की युक्तिपूर्ण एवं सर्वमान्य आवश्यकता अनिवार्य हो गई तब उनके पूर्ण विवरण के लिए 'खसरा' नामक अभिलेख बनाया गया।




नम्बर अन्दाजी के लाभ (Advantage of Number Andaji)-



संख्यायें डालने से खेत को खोजने में बहुत सुविधा हो जाती है तथा खसरे की सहायता से उसका पूर्ण विवरण शीघ्र मिल जाता है। एक तरह से नम्बर अन्दाजी समस्त भूमि अभिलेखों का मूल आधार है और इसके बिना अभिलेख पत्र अपूर्ण हैं ।




संख्यांकन या नम्बर अन्दाजी की क्या प्रक्रिया है। संख्यांकन के नियम क्या हैं (What is the System of numbering)


भूखण्ड या क्षेत्र में गाटों की संख्या बहुत अधिक भी हो सकती है और यदि बिना किसी नियम के स्वेच्छा के संख्यायें कहीं भी अंकित कर दी जावें तो अव्यवस्था के साथ साथ असुविधा का सामना करना सम्भावित है। अतः इसके लिए यह निर्णय लिया गया कि 


(1) नम्बर अन्दाजी का प्रारंभ उत्तर -पश्चिम कोने से शुरू होता है और दक्षिण- पूरब में समाप्त किया जाता है। नम्बर अन्दाजी का कार्य उत्तर पश्चिम के कोने से प्रारम्भ होकर संख्यांकन भूखण्डों की ओर किया जायेगा फिर पश्चिम की ओर नीचे के गाटों को लेते हुए वापस लाया जाये और इसी प्रकार अन्त में दक्षिण पूर्व की ओर के कोने में इस कार्य को समाप्त किया जायेगा।


(3) नम्बर अन्दाजी (Numbering) सर्पाकार में की जाती है।


(2) यदि किसी ग्राम के मानचित्र से अधिक पत्रक (शीट) हों तो गाटों की नम्बर अन्दाजी पत्रकबार (शीटवार) की जायेगी। अर्थात एक शीट के गाटाओं का संख्यांकन पूर्ण कर लेने के पश्चात् ही दूसरी शीट का संख्यांकन किए जायेगा।


(4) अकृषित भूमि जैसे बंजर, तालाब, बाग, आदि की भूमियों पर संख्यायें गाटों की संख्या के क्रम में ही डाली जायेंगी।


(5) यदि कोई लम्बा रास्ता, चक्रमार्ग या जलमार्ग ( बंबा, नहर नदी आदि) सीमा के साथ-साथ दिया हुआ है तो नम्बर अन्दाजी में सुविधा के लिये इसे कुछ टुकड़ों में बाँट देना उपयुक्त होगा। प्रत्येक टुकड़े को दूसरे टुकड़े से पृथक दिखाने के लिये रास्ते आदि की समान्तर रेखाओं के बीच एक बिन्दु रख दिया जायेगा तथा हर टुकड़े के लिये एक संख्या निर्धारित की जायेगी।



(7) संख्यांकन करते समय संख्या के अंक गाटे के बीच में तथा स्पष्ट छोटे आकर में अंकित किये जाने चाहिये।



(8) नंबर किनारे लिखने पर इसका तात्पर्य यह होगा कि गाटे की साइज बहुत छोटी है|इसलिए नम्बर गाटे से सटाकर किनारे लिखा जाता है।



(9) अत्यन्त छोटे आकार के गाटो का उपचार जिनमें इतने छोटे गाटे हों कि उनके भीतर उनकी पूर्ण संख्या अंकित न हो सकती हो तो वहाँ उस नंबर से सटे बड़े गाटे में अंतिम अंक लिख दिया जाता है। अधूरा नंबर लिखने का नियम उसे पूरा नंबर प्रदर्शित करता।ऐसे छोटे गाटे जिनमें तीन अंक या दो अंक वाली संख्यायें लिखने के लिये स्थान कम पड़ता हो उनमें तीन अंको होने की दशा में सैकड़े का कम नहीं डाला जावेगा मात्र इकाई दडायी लिखकर ही काम चलाया जायेगा। जब कोई गाटा गूल या रास्ता बहुत ही कम चौड़ा हो तो उसकी संख्या उसके निकट के बड़े गाटे में उसके समीप ही डाल दी जावेगी। इस दशा में बड़े गाटे का स्वंय का कमांक बीच में व पड़ोसी पतले गाटे का क्रमांक किनारे पर अंकित किया जायेगा। उपरोक्त सिद्धान्त सम्पूर्ण उ० प्र० में प्रचलित हैं तथा सभी इन्हीं नियमों का पालन करते है जिससे सभी मानचित्र और खसरा रजिस्टरों की प्रविष्टियों का अर्थ एक जैसा ही निकालें व समझें। सभी न्यायालय उसी के अनुसार अर्थ लगाकर निर्णय करते हैं। जैसे-



(10) कभी कभी नंबरिंग करते समय कूदने की स्थिति आती है इसे कुदान कुदान कहते है और कभी कभी गाटा  छूट जाता है उसे मतरूक  कुदान कहते हैं। मटरू गाटों की संख्या कुल गारों की संख्या कुल गारों की संख्या से 5% से अधिक नहीं होनी चाहिए।-




(11) लम्बे रास्ते आदि को नंबरिंग करने के लिए उन्हें हिस्से में बाँट दिया जाता है। बॉटने के लिए विन्दु काले रंग की स्याही से बनाया जाता है। किन्तु नदी, रेलवे लाइन को दो हिस्से मे नहीं बाँटा जा सकता इसलिए  यहाँ पहले नम्बरिंग पहली साइड  तथा इसके बाद दूसरी साइड से करते है। यदि रेलवे लाइन और नहर दोनो हो तो पहले वरीयता नहर को दी जायेगी उसके बाद रेलवे लाइन को नम्बर दिया जाऐगा।



नक्शा में संख्यांकन की विधि को समझने के लिए उदाहरण

Number andaji kya hoti hai




Nakshe me numbering kaise ki jati hai














           

            





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