सीलिंग एक्ट क्या है|सीलिंग भूमि क्या होती है|उत्तर प्रदेश भूमि सीलिंग अधिनियम 1960 क्या है|(Ceiling Act kya hai|Ceiling Bhumi kya hoti hai)
Hello दोस्तों आज की पोस्ट में हम आपके लिए उत्तर प्रदेश की उत्तर प्रदेश भूमि सीलिंग अधिनियम,1960 से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर लेकर आये है।इस पोस्ट में आपको निम्न प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे
सीलिंग भूमि क्या होती है|Ceiling bhumi kya hoti hai-(What is Ceiling Land)
सीलिंग एक्ट(Ceiling Act)क्या है- What is Land Ceiling Act
सीलिंग एक्ट का मुख्य उद्देश्य क्या है- The main objective of the ceiling act
सीलिंग एक्ट की मुख्य बातें कौन सी है
उत्तर प्रदेश भूमि सीलिंग अधिनियम, 1960 (U.P. Ceiling Act, 1960) क्या है|विस्तार से वर्णन
इन सभी प्रश्नों के उत्तर यहाँ मिल जायेंगे इसलिए पोस्ट को पूरा और ध्यानपूर्णक पढ़े।धन्यवाद
सीलिंग भूमि क्या होती है|Ceiling bhumi kya hoti hai-(What is Ceiling Land)
सीलिंग भूमि वह है जिस पर किसी व्यक्ति या परिवार के स्वामित्व की अधिकतम सीमा निर्धारित होती है, जिसके बाद अतिरिक्त भूमि को सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया जाता है. यह एक कानूनी अधिनियम है, जिसे भूमि सीमा कानून (Land Ceiling Act) भी कहा जाता है, जो भूमि के असमान वितरण को कम करने, कृषि उत्पादन बढ़ाने और भूमि का अधिक कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लागू किया जाता है।
यह कानून तय करता है कि एक व्यक्ति या परिवार अधिकतम कितनी भूमि का मालिक हो सकता है, और इस निर्धारित सीमा से अधिक भूमि को "अधिशेष भूमि" कहा जाता है। अथवा अगर किसी व्यक्ति/परिवार के पास कानून द्वारा तय सीमा से अधिक भूमि है, तो उसे अधिशेष भूमि (Surplus Land) कहा जाता है।निर्धारित सीमा से अधिक की भूमि को सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया जाता है।सरकार इस अधिग्रहित भूमि को गरीब और जरूरतमंद व्यक्तियों या छोटे किसानों को वितरित कर सकती है, ताकि वे उस पर खेती कर सकें।
सीलिंग एक्ट(Ceiling Act)क्या है- What is Land Ceiling Act
सीलिंग एक्ट (Ceiling Act) भूमि सुधार (Land Reform) से जुड़ा एक कानून है। इसका उद्देश्य यह था कि एक व्यक्ति या परिवार के पास कितनी अधिकतम कृषि भूमि हो सकती है, उसकी सीमा तय की जाए। इस कानून के ज़रिए बड़े जमींदारों के पास से अतिरिक्त जमीन लेकर भूमिहीन और छोटे किसानों को दी जाती है।
उत्तर प्रदेश भूमि सीलिंग अधिनियम, 1960 (U.P. Imposition of Ceiling on Land Holdings Act, 1960) के अनुसार सिंचित भूमि (सींचाई योग्य) की सीमा कम रखी गई है।असिंचित भूमि (बिना सींचाई) की सीमा अधिक है।औसतन लगभग 12.5 एकड़ से 40 एकड़ तक की सीमा तय की गई है।
सीलिंग एक्ट का मुख्य उद्देश्य क्या है- The main objective of the ceiling act
1. भूमि का समान वितरण –
2. जमींदारी प्रथा का अंत –
कुछ गिने-चुने लोगों के हाथ में बहुत ज़्यादा जमीन न रहे।
3. छोटे व भूमिहीन किसानों को जमीन देना –
इसके अंतर्गत भूमिहीन किसानों को जमीन दी जाती है ताकि उनकी आजीविका सुधरे।
4. कृषि उत्पादन बढ़ाना –
जब अधिक लोगों के पास खेती योग्य भूमि होगी तो उत्पादन बढ़ेगा।
सीलिंग एक्ट की मुख्य बातें कौन सी है
- हर राज्य ने अपनी ज़रूरत और परिस्थितियों के अनुसार भूमि सीमा तय की है।
- सीमा (Ceiling Limit) से अधिक जमीन राज्य सरकार अपने कब्ज़े में ले लेती है।
- इसमें ली गई जमीन को भूमिहीन किसानों, दलितों, पिछड़े वर्गों या अन्य जरूरतमंदों को बांटा जाता है।
- सीलिंग की गणना करते समय परिवार के सभी सदस्यों की जमीन जोड़ी जाती है।
उत्तर प्रदेश भूमि सीलिंग अधिनियम, 1960 (U.P. Ceiling Act, 1960) क्या है|विस्तार से वर्णन
1. अधिनियम का उद्देश्य
राज्य में भूमि का न्यायसंगत वितरण करना।
बड़े ज़मींदारों के पास से अतिरिक्त भूमि लेकर उसे भूमिहीन किसानों को बांटना।
समाज में आर्थिक असमानता कम करना।
2. अधिनियम की मुख्य परिभाषाएँ
1. सीलिंग क्षेत्र (Ceiling Area):
किसी भी परिवार या व्यक्ति के पास रखी जा सकने वाली भूमि की अधिकतम सीमा।
2. परिवार (Family):
पति, पत्नी और नाबालिग बच्चों को एक परिवार माना जाता है।
3. भूमिधर (Bhumidhar):
भूमि का विधिक (Legal) स्वामी।
3. भूमि की अधिकतम सीमा (Ceiling Limit)
भूमि की उपजाऊ शक्ति और सिंचाई सुविधा के अनुसार अलग-अलग सीमा तय की गई है।
सिंचित भूमि (Irrigated land): लगभग 12.5 एकड़ तक।
असिंचित भूमि (Unirrigated land): लगभग 18-40 एकड़ तक।
मिश्रित भूमि: (सिंचित + असिंचित) का अनुपात देखकर सीमा तय।
👉 यानी कोई भी परिवार 40 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं रख सकता (स्थिति और भूमि की गुणवत्ता पर निर्भर)।
4. अतिरिक्त भूमि का निस्तारण
अगर किसी भूमिधर के पास सीमा से अधिक भूमि पाई जाती है, तो सरकार उसे जब्त (Vest) कर लेती है।
जब्त की गई जमीन को भूमिहीन और छोटे किसानों में बाँट दिया जाता है।
5. भूमि सीलिंग की प्रक्रिया-
1. तहसीलदार/SDM भूमि का विवरण तैयार करता है।
2. नोटिस जारी किया जाता है कि जमीन कितनी सीमा से अधिक है।
3. भूमिधर को अपनी पसंद की भूमि रखने का अधिकार होता है (Ceiling Area चुनने का हक)।
4. शेष जमीन राज्य सरकार के अधीन चली जाती है।
6. छूट (Exemptions)
कुछ भूमि सीलिंग एक्ट से बाहर रखी जाती है,
जैसे-
धार्मिक और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमि।
अनुसंधान/प्रयोग हेतु प्रयोग की जाने वाली भूमि।
सहकारी समितियों की भूमि।
7. दंड प्रावधान
गलत सूचना देने या जमीन छिपाने पर जुर्माना व कानूनी कार्रवाई।
कब्ज़ा न देने पर बलपूर्वक अधिग्रहण (Forceful possession)।
8. संशोधन (Amendments)
1972 व 1974 संशोधन के बाद भूमि सीमा और कड़ी कर दी गई।
बड़े ज़मींदारों से काफी जमीन ली गई और लाखों भूमिहीन किसानों में बाँटी गई।
✅ संक्षेप में:
उत्तर प्रदेश भूमि सीलिंग अधिनियम 1960 का मुख्य प्रावधान यह है कि कोई भी परिवार भूमि की एक निश्चित सीमा से अधिक जमीन नहीं रख सकता। सीमा से अधिक भूमि सरकार जब्त कर लेती है और इसे भूमिहीन किसानों में बाँट देती है।
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