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उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 27 क्या है।उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 क्या है।

उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 27 क्या है।Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 27 kya hai।उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 क्या है।Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 52 kya hai।


उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 27 और 52 क्या है



आज की इस पोस्ट में आप लोगों के लिए उत्तरप्रदेश जोट चकबंदी अधिनियम की धारा 27और धारा 52 के बारे में विस्तार के बताने जा रहे हैं।किसी ग्राम में चकबंदी होती है जो धाराओं के बारे में जरूर सुना होगा।इस पोस्ट में Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 27 kya hai।Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 52 kya hai।।Chakbandi kya hoti hai।Chakbndi kyu jaruri hai।khet ki Chakbandi ke kya kya fayde hai।इस प्रकार के सभी सवालों के जवाब इस पोस्ट में मिलेंगे।इन धाराओं को जानने से पहले हमे जानना जरूरी है कि चकबंदी क्या होती है।खेतों की चकबंदी क्यो जरूरी है।खेतों की चकबंदी से क्या फायदे हैं?


चकबंदी क्या होती है।खेतों की चकबंदी क्यो जरूरी है।खेतों की चकबंदी से क्या फायदे हैं?


Chakbandi का तात्पर्य एक कटक के जोतो के विभिन्न खातेदारों  के बीच इस प्रकार पुन: व्यवस्था करने से है । जिसमें कि उनके अपने अपने खाते अधिक संहत हो जाए।चकबन्दी दो शब्दों चक+ बंदी से मिलकर बना है इसमें 'चक' का अर्थ है खेत और बंदी का अर्थ जोड़ने से हैI।  चकबन्दी में छोटे-छोटे भूखंडो को मिलकर एक बड़ा भूखंड या खेत तैयार किया जाता है। दरअसल चकबंदी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत किसानों के इधर-उधर बिखरे हुए खेतों को उनके आकार और मूल्य या मालियत के आधार पर उन्हें एक स्थान पर करके एक बड़ा चक बना दिया जाता है। इससे किसानों को खेती करनें में आसानी के साथ ही उनके चकों की संख्या भी कम होती है।चकबंदी होने से बिखरे हुए खेत एक जगह हो जाती है।छोटे-छोटे खेतों की मेड़ों में भूमि बर्बाद नहीं होती है।खेत बड़े हो जाने या पास पास हो जाने से मशीनीकरण आसान हो जाता है।खेत का आकार अधिक हो जाने से लागत घट जाती है।कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव हो पाती है।



उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम की धारा 27 क्या है।Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 27 kya hai


उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम नियम की धारा 27 के तहत रिकॉर्ड (बंदोबस्त) तैयार किया जाता है, जिसमें आकार पत्र-41 और 45 बनाया जाता है। नए नक़्शे का निर्माण किया जाता है, जिसमें पुराने गाटो के स्थान पर नये गाटे बना दिए जाते हैं। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की हर स्तर पर गहन जांच की जाती है।इसके बाद मुख्य रिकॉर्ड तैयार होते हैं।जोत चकबन्दी आकर पत्र-45 (CH41)को तुलनात्मक खसरा या फर्द मुताबकत भी कहते हैं ।इसमे नये गाटा संख्या से खसरा तैयार किया जाता है और उसमें यह भी उल्लेख लिया जाता है कि यह किन-किन पुराने गाटाओं से बना है। CH-41 जोत चकबंदी आकर पत 41 (खसरा मुताबकत)  चकबंदी नियमावली के नियम 93 के अनुसार तैयार किया जाता है। सहायक चकबंदी अधिकारी और चकबन्दीकर्ता द्वारा पुनः परिगणना तथा जाँच समाप्त हो जाने के पश्चात लेखपाल जोट चकबंदी आकार पत्र -41 में नई गाटा संख्याओं को अनुक्रम में तुलनात्मक खसरा (खसरा मुताबकत) दो प्रतिया में तैयार करते हैं जिसमें भूमि की श्रेणियों के भी ब्यौरा दिया जाता है | उन दो प्रतियों में से प्रथम प्रति जिला अभिलेखागार में तथा दूसरी प्रति तहसील में सम्बंधित लेखपाल के पास रहता है। इसी प्रकार जोत चकबंदी आकार पत्र-45 (CH45) एक अधिकार अभिलेख होता  है।  जो खतौनी के रूप में होता है। जोत चकबंदी आकार पत्र-45 जोत चकबंदी अधिनियम की धारा 27 के अधीन तैयार की जाती है।यह अधिकार अभिलेख अधिनियम की धारा 27 तथा उसके अधीन बनी नियमावली के नियम 97 के अनुसार दो प्रतियों में तैयार की जाती है। चकबन्दी लेखपाल खसरा मुताबक़त (CH41) एवं अन्य सभी संगत अभिलेखों की सहायता से जोत चकबन्दी आकार पत्र 45 (अधिकार अभिलेख) दो प्रतियों में तैयार करेगा |इस प्रकार CH 41 व CH 45 दोनों को तैयार करके इसको सम्मलित रूप में तैयार किया जाता है जिसे जिल्द बंदोबस्त कहते है। इसके तैयार हो जाने पर इसकी प्रथम जिल्द बंदोबस्त जिला अभिलेखागार तथा इसरी प्रति तहसील में सम्बंधित लेखपाल के प्रयोग हेतु भेज दिया जाता है।



उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम की धारा 52 क्या है।Jot chakbandi adhiniyam ki dhara 52 kya hai


उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 के अन्तर्गत उस दशा में विज्ञाप्ति राजकीय गजट में प्रकाशित की जाती है। जब धारा 4 के अन्तर्गत चकबंदी अधिनियम की समस्त क्रियाएं पूर्ण होकर अन्तिम अभिलेख कर दिये गये हो । इस धारा के प्रकाशन हो जाने के उपरान्त पुन: उस ग्राम का सारा कार्य जमीदारी विनाश अधिनियम के अधीन तहसील कर्मचारियों द्वारा सम्पन्न किया जाने लगता है।अर्थात धारा 4 के प्रकाशन के बाद चकबंदी क्रिया पूर्ण हो जाने के उपरांत ,सभी अभिलेख CH-42 और CH-45 (जिल्द बंदोबस्त) तैयार हो जाने के बाद धारा 52 का प्रकाशन किया जाता है इसका तात्पर्य यह हुआ कि अब इस ग्राम में चकबंदी कार्य समाप्त हो गया है।



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