रत्नेश शाक्य कौन है|रत्नेश शाक्य का जीवन परिचय [Ratnesh shakya kaun hai|Ratnesh shakya biography in Hindi]
गणित को अक्सर एक कठिन और नीरस विषय के रूप में देखा जाता है। बहुत से विद्यार्थी इसे केवल अंकों और सूत्रों की दुनिया समझते हैं, जिसे समझना और याद रखना मुश्किल होता है। लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं जो गणित को सरल, रोचक और जीवन से जुड़ा हुआ बनाने का प्रयास करते हैं। रत्नेश शाक्य (रत्नेश कुमार) ऐसे ही एक शिक्षक और गणितज्ञ हैं जिन्होंने अपने अथक परिश्रम और शोध के बल पर “विभाज्यता का महासूत्र” नामक अद्भुत सूत्र प्रस्तुत किया है। यह सूत्र गणित के क्षेत्र में एक अनूठा योगदान है और छात्रों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो रहा है।इस लेख में हम आपको रत्नेश शाक्य के बारे में बताने जा रहे है।इसमें रत्नेश शाक्य कौन है।रत्नेश शाक्य का जीवन परिचय।विभाज्यता के महासूत्र की खोज किसने की है।Ratnesh Shakya kaun hai। Ratnesh Shakya Biography in Hindi के साथ इसने सम्बंधित अन्य जानकारी भी मिल जाएगी।
रत्नेश शाक्य कौन है|रत्नेश शाक्य का जीवन परिचय
रत्नेश शाक्य का परिचय-
रत्नेश शाक्य (रत्नेश कुमार), उत्तर प्रदेश मैनपुरी के गणित शिक्षक और विभाज्यता का महासूत्र के खोजकर्ता हैं। उन्होंने गणित को आसान और रोचक बनाने के लिए नया सूत्र विकसित किया, जो छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद उपयोगी है।
रत्नेश शाक्य मैनपुरी के एक गणितज्ञ और गणित शिक्षक हैं, जिन्होंने ARP (Additional Resource Person) परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उन्हें गणित में 'महासूत्र' की रचना करने और गणितीय दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए जाना जाता है। वह एक शिक्षक और गणितज्ञ के रूप में गणितीय दुनिया में सक्रिय हैं।
रत्नेश शाक्य का प्रारंभिक जीवन
रत्नेश शाक्य का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ।उनके पिता का नाम “हरि राम शाक्य” है,जो इंग्लिश टीचर थे।श्री रत्नेश शाक्य के पिता हरिराम शाक्य नेशनल इंटर कॉलेज भोगांव में अंग्रेजी के अध्यापक तथा इनकी माता शारदा देवी शाक्य कस्तूरबा गांधी बालिका इंटर कॉलेज में संगीत की अध्यापिका रही हैं। रत्नेश कुमार भाई बहन में सबसे छोटे पुत्र हैं। रत्नेश कुमार वर्तमान समय में पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगतपुर सुल्तानगंज मैनपुरी में गणित के शिक्षक है।
बचपन से ही वे पढ़ाई में तेज़ और विशेषकर गणित विषय के प्रति उत्सुक थे। जहाँ आमतौर पर बच्चे गणित से डरते हैं, वहीं रत्नेश जी को गणित में मज़ा आता था। वे संख्याओं से खेलना और तर्कशक्ति वाले सवाल हल करना पसंद करते हैं।बचपन में उनके शिक्षक भी उनकी बुद्धिमत्ता से प्रभावित रहते थे। वे अक्सर जटिल प्रश्नों को आसानी से हल कर देते थे। धीरे-धीरे यह रुचि और गहरी होती गई और गणित उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया।
रत्नेश शाक्य की शिक्षा-
रत्नेश शाक्य की शिक्षा यात्रा भी उतनी ही प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने विद्यालयी और उच्च शिक्षा स्तर पर गणित को गंभीरता से पढ़ा और समझा।
सबसे पहले उन्होंने इंजीनियरिंग (Engineering) की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद उन्होंने प्रबंधन की पढ़ाई करते हुए MBA (Master of Business Administration) किया।
शिक्षण के प्रति अपने जुनून और विद्यार्थियों को पढ़ाने की लगन के कारण उन्होंने B.Ed (Bachelor of Education) भी पूरा किया।
इन तीनों डिग्रियों ने उन्हें न केवल तकनीकी और प्रबंधन का ज्ञान दिया, बल्कि शिक्षण के क्षेत्र में भी एक मजबूत आधार प्रदान किया।
रत्नेश शाक्य का शिक्षण करियर
शिक्षा पूरी करने के बाद रत्नेश शाक्य ने अपने जीवन को विद्यार्थियों को समर्पित कर दिया। उन्होंने 2015 में बतौर गणित विषय विशेषज्ञ शिक्षक के रूप में कार्य शुरू किया।
वर्तमान में वे पूर्व माध्यमिक विद्यालय, जगतपुर, सुल्तानगंज, मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) में गणित शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। उनकी कक्षाओं में विद्यार्थी न केवल गणित सीखते हैं, बल्कि गणित से प्यार करना भी सीखते हैं।
उनकी शिक्षण शैली सरल, व्यावहारिक और तर्कपूर्ण होती है। वे विद्यार्थियों को यह विश्वास दिलाते हैं कि गणित कठिन नहीं है, बल्कि अगर सही तरीके से समझा जाए तो यह सबसे रोचक विषयों में से एक है।
रत्नेश शाक्य की उपलब्धियाँ-
विभाज्यता का महासूत्र की खोज-
गणित में विभाज्यता (Divisibility) एक महत्वपूर्ण विषय है। सामान्यत: विद्यार्थियों को अलग-अलग संख्याओं (2, 3, 5, 7, 11, 13 आदि) के लिए अलग-अलग नियम याद करने पड़ते हैं।
यही कठिनाई देखकर रत्नेश शाक्य ने वर्षों तक मेहनत की और अंततः एक ऐसा सूत्र खोजा जिसे उन्होंने नाम दिया – “विभाज्यता का महासूत्र”।
यह एक ऐसा सर्वव्यापी (Universal) सूत्र है जिसकी मदद से किसी भी संख्या की विभाज्यता की जाँच की जा सकती है।
यदि किसी संख्या ru (जहाँ r = शेष बचे अंक और u = इकाई अंक) की विभाज्यता किसी भाजक RU से जाँचना हो, तो नीचे दिए गए सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
(10-U)× r + u ×(R+1)
यदि यह प्राप्त संख्या RU से विभाजित हो जाती है, तो निश्चित रूप से मूल संख्या ru भी RU से विभाजित होगी।
सूत्र का महत्व-
- इस सूत्र से सभी नियमों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- विद्यार्थी अब केवल एक सूत्र से विभाज्यता के सभी प्रश्न हल कर सकते हैं।
- प्रतियोगी परीक्षाओं (SSC, Banking, UPSC, Railways आदि) में समय की बचत होती है।
- गणित अब और भी रोचक और आसान हो जाता है।
पुस्तक लेखन और कॉपीराइट-
रत्नेश शाक्य ने अपने इस शोध को और आगे बढ़ाते हुए हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में पुस्तकें लिखीं। इन पुस्तकों में उन्होंने “विभाज्यता का महासूत्र” को विस्तार से समझाया है।
उनका दावा है कि उनकी पुस्तक और सूत्र को भारत सरकार के कॉपीराइट विभाग से प्रमाणपत्र मिला है। साथ ही यह भी कहा गया है कि यह कॉपीराइट 177 देशों में मान्य है।
यह उपलब्धि उन्हें एक अलग पहचान दिलाती है और उनके सूत्र की गंभीरता और महत्व को रेखांकित करती है।
मान्यता और सम्मान-
रत्नेश शाक्य को कई मंचों पर सम्मानित किया गया है।उनके सूत्र बड़े समाचार पत्रों और पोर्टलों ने लेख प्रकाशित किए हैं।सोशल मीडिया पर भी उनके वीडियो और इंटरव्यू वायरल हुए हैं।विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों ने उनके प्रयासों की सराहना की है।
उद्देश्य और दृष्टिकोण-
रत्नेश शाक्य का मुख्य उद्देश्य है कि गणित को विद्यार्थी डर के बजाय मज़े से पढ़ें।
वे मानते हैं कि गणित केवल संख्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तर्क, जीवन और सोचने का तरीका है।
उनकी सोच है कि यदि विद्यार्थी गणित को समझने लगें तो प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाना आसान हो जाएगा।
व्यक्तिगत जीवन-
सार्वजनिक रूप से उनके निजी जीवन की अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनकी पहचान मुख्यतः शिक्षक, लेखक और गणितज्ञ के रूप में ही है।उनका जीवन विद्यार्थियों और गणित को समर्पित है।रत्नेश शाक्य का विवाह सपना शाक्य से हुआ है। उनकी पारिवारिक जीवनशैली सामान्य और सादगीपूर्ण है।
अन्य उपलब्धियाँ
उन्होंने ARP परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
भारत सरकार द्वारा उनके इस महासूत्र के लिए कॉपीराइट सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन किया गया है।
हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में किताबें लिखीं।
भारत सरकार से कॉपीराइट प्रमाणपत्र प्राप्त करने का दावा।
स्थानीय और राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में कवरेज।कई बार सम्मानित और सोशल मीडिया पर चर्चित।
निष्कर्ष-
रत्नेश शाक्य (रत्नेश कुमार) का जीवन परिचय हमें यह सिखाता है कि अगर किसी विषय को समझने और आसान बनाने की लगन हो तो असंभव कुछ भी नहीं। उन्होंने “विभाज्यता का महासूत्र” प्रस्तुत करके यह सिद्ध कर दिया कि मेहनत और लगन से साधारण शिक्षक भी गणित की दुनिया में बड़ा योगदान दे सकता है।
उनकी यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है और उनका सूत्र विद्यार्थियों को गणित में नई रोशनी दिखाता है।
FAQ-(रत्नेश शाक्य से सम्बंधित प्रश्न)
Q1. रत्नेश शाक्य कौन हैं?
👉 रत्नेश शाक्य (रत्नेश कुमार) उत्तर प्रदेश मैनपुरी के गणित शिक्षक और “विभाज्यता का महासूत्र” के खोजकर्ता हैं।
Q2. विभाज्यता का महासूत्र किसने प्रस्तुत किया?
👉 इसे रत्नेश शाक्य ने प्रस्तुत किया है।
Q3. रत्नेश शाक्य की शिक्षा क्या है?
👉 उन्होंने इंजीनियरिंग, MBA और B.Ed किया है।
Q4. वर्तमान में वे कहाँ कार्यरत हैं?
👉 वे पूर्व माध्यमिक विद्यालय, जगतपुर, सुल्तानगंज, मैनपुरी में गणित शिक्षक हैं।
Q5. उन्होंने “विभाज्यता का महासूत्र” क्यों खोजा?
👉 ताकि विद्यार्थियों को गणित, खासकर विभाज्यता के नियम, सरल और रोचक तरीके से समझाए जा सकें और प्रतियोगी परीक्षाओं में समय बच सके।
Q6. रत्नेश शाक्य कब से शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं?
👉 वे वर्ष 2015 से गणित विषय विशेषज्ञ शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
Q7. क्या रत्नेश शाक्य ने कोई किताब लिखी है?
👉 हाँ, उन्होंने हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में “विभाज्यता का महासूत्र” पर पुस्तक लिखी है।
Q8. क्या उनकी खोज को मान्यता मिली है?
👉 हाँ, उनके सूत्र को भारत सरकार से कॉपीराइट प्रमाणपत्र मिलने का दावा है और विभिन्न समाचार माध्यमों ने उनकी उपलब्धि को कवर किया है।
Q9. रत्नेश शाक्य का उद्देश्य क्या है?
👉 उनका उद्देश्य है कि गणित को बच्चे खेल और तर्क की तरह समझें और इसे कठिन विषय न मानें।
Q10. क्या रत्नेश शाक्य को पुरस्कार मिले हैं?
👉 हाँ, उन्हें विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया गया है और मीडिया में उनकी खोज को सराहा गया है।