उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52| U.P. Consolidation of Holdings Act Section 52 in Hindi
उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 क्या है|UP Jot Chakbandi Adhiniyam ki dhara 52 kya hai
चकबंदी क्या होती है- संक्षिप्त परिचय
जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 का कानूनी प्रावधान
जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 के बाद होने वाले प्रभाव-
न्यायालय के निर्णय (Case Laws on Section 52)
जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 की विशेषताएँ
जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 का महत्व-
FAQ – उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52
Q1. उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम 1953 की धारा 52 क्या है?
धारा 52 कहती है कि चकबंदी योजना पूरी होकर प्रकाशित होने के बाद अंतिम और बाध्यकारी हो जाती है।
Q2. धारा 52 लागू होने के बाद नया भूमि विवाद किया जा सकता है?
नहीं, धारा 52 के बाद कोई नया भूमि विवाद सामान्य राजस्व न्यायालय में नहीं किया जा सकता।
Q3. धारा 52 के तहत किसान को क्या लाभ मिलता है?
किसान को अपनी भूमि पर स्थायी स्वामित्व मिलता है और बार-बार मुकदमेबाजी से राहत मिलती है।
Q4. धारा 52 के बाद अपील कहाँ की जा सकती है?
सिर्फ उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है, अन्यत्र नहीं।
Q5. धारा 52 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य चकबंदी योजना को अंतिम रूप देकर किसानों को सुरक्षा और स्थायित्व प्रदान करना है।
Q6. धारा 52 लागू होने से प्रशासन को क्या लाभ होता है?
भूमि अभिलेख स्पष्ट हो जाते हैं, जिससे कर वसूली और विकास कार्य सरल हो जाते हैं।
Q7. धारा 52 लागू होने के बाद यदि रिकॉर्ड गलत हो तो क्या किया जा सकता है?
ऐसी स्थिति में केवल उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में ही सुधार की याचिका की जा सकती है।
Q8. क्या धारा 52 से भ्रष्टाचार की संभावना खत्म हो जाती है?
पूरी तरह नहीं, लेकिन सही और अंतिम रिकॉर्ड होने से भ्रष्टाचार की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
Q9. धारा 52 किसानों के जीवन को कैसे प्रभावित करती है?
यह किसानों को उनकी जमीन पर स्थिर अधिकार और सुरक्षित भविष्य देती है, जिससे वे आधुनिक खेती कर सकते हैं।
Q10. धारा 52 क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है?
क्योंकि यह चकबंदी अधिनियम की रीढ़ है और यही किसानों को भूमि विवादों से स्थायी मुक्ति दिलाती है।
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