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स्थाई बिंदु या मुस्तकिल मुकाम (Fixed point) क्या होता है।भू-सर्वेक्षण में प्रयुक्त शब्द व चिन्ह कौन कौन से हैं।

स्थाई बिंदु या मुस्तकिल मुकाम (Fixed point) क्या होता है।भू-सर्वेक्षण में प्रयुक्त शब्द व चिन्ह कौन कौन से हैं।

भूमि सर्वेक्षण में कौन कौन से चिन्ह प्रयोग किये जाते हैं



नमस्कार दोस्तो आज की पोस्ट में हम भूमि सर्वे के कुछ महत्वपूर्ण शब्द और चिन्हों को लेकर आये है।जब land servey का कार्य किया जाता है तो इन सब चिन्हों व शब्दो का प्रयोग होता है और यह चिन्ह किस प्रकार बनाये जाते हैं।इस पोस्ट में आपको निम्न प्रश्नों के जवाब मिलेंगे-
  • स्थाई बिन्दु या मुस्तकिल मुकाम (Fixed point) क्या होता है।
  • भूमि सर्वेक्षण में किन किन शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
  • भूमि सर्वेक्षण में कौन कौन से चिन्ह प्रयोग किये जाते हैं।
  • कटान बिंदु क्या होता है?
  • तिमेडा क्या होता है?
  • चौमेड़ा क्या होता है?
  • सिहद्दा या तीन सिवान क्या होता है?
  • चौहद्दा या चार सिवान क्या होता है?
  • चाँदा क्या होता है?
  • पंजा क्या होता है?
  • तूदा क्या होता है?

दोहद्दा या दो सिवान क्या होता है?स्थाई बिन्दु या मुस्तकिल मुकाम (Fixed point) क्या होता है।


स्थायी बिन्दु या मुस्तकिल मुकाम (Fixed Point)- ग्राम में स्थित वह बिन्दु है जिसे सर्वेक्षण के आधार के साथ प्रयोग करके किसी गाटे या ग्राम की सीमा निर्धारित की जा सकती है। इसके लिए दोहद्दा, सिहदा (तीन सिमान पत्थर) जो ग्रामों की सीमा पर हो, चौहदा, (चार सिमान पत्थर) इसके अतिरिक्त पुराना चौमेड़ा, तिमेड़ा (तीन मैड़ों के मिलने का स्थान) पुरानी नक्शे में बनी आबादी पुलिया या पुल, नहर, बम्बा, सड़क, रेलवे लाइन अथवा बन्दोबस्त या रिकार्ड आपरेशन से पूर्व का बना पक्का नाला, मजार, मृत्योपरान्त किसी की स्मृति के रूप में निर्मित कोई पक्का निर्माण को स्थायी बिन्दु के रूप में लिया जा सकता है। स्कूल, अस्पताल, कार्यालय या कोई अन्य पुराना पक्का सार्वजनिक भवन स्थायी बिन्दु माना जा सकता है। पक्का कुआँ जो भूचित्र में बना हो उसे भी स्थायी बिन्दु के रूप में प्रयोग किया जा सकता है किन्तु बहुत बड़े आकार का न हो। यद्यपि ये सभी स्थायी बिन्दु माने जा सकते हैं फिर भी इनको दो से अधिक स्थानों से नापकर इनकी शुद्धता का सत्यापन कर लेना चाहिए। यदि कोई स्थायी विन्दु व्यक्तिगत सीमा विवाद के लिए प्रयोग किये जा रहे हैं तो उनके सत्यापन हेतु नापी गयी दूरियों को मानचित्र पर क ख ग अंकित कर उनकी दूरियाँ कड़ियों में अंकित कर देनी चाहिए। ध्यान रहे रेलवे लाइन स्थायी बिन्दु नहीं है स्थायी लाइन है उसका च सड़क का प्रयोग तब तक नहीं किया जा सकता है जब तक कोई पुलिया या अन्य स्थान विन्दु नियत करने सम्बन्धी न हो। यद्यपि सिहद्दा आदि स्थायी सीमा चिन्ह अपने स्थान पर रहते हैं उन्हें हटाना सरल नहीं है। अतः उनकी जाँच की आवश्यकता नहीं है मात्र नजरी जाँच काफी है। 



भूसर्वेक्षण में प्रयोग होने वाले मुख्य शब्द व चिन्ह कौन कौन से हैं


भू-सर्वेक्षण में प्रयुक्त चिन्ह और उनका वर्णन


1. चाँदा -स्थल पर बनाया गया वह स्थान है जहाँ दो सीमाओं की लाइनें या आयतों की लाइनें मिलती हो बाउण्ड्री बनाते समय ग्राम की सीमा तथा अंश विभाजन करते समय ग्राम के क्षेत्र के बीच में आवश्यकतानुसार किये जाने वाले सर्वेक्षण में इन्हें सहायता के लिए बनाया जाता है।जैसे-


चाँदा की होता है



2. दहला या दहाई- जरीबी लाइन स्थल पर चलाते समय जब दस जरीब दूरी चलाली जाती है तब भूमि खोदकर गोल चिन्ह बना देते हैं तथा उसी के अनुरूप चिन्ह मानचित्र में भी बनाते जाते हैं। इसका स्वरूप दोनों ओर लाइन निकालते हुए गोलाकार होता है। जैसे-

दहाई या दहला क्या होता है



3. पंजा-स्थल पर जरीबी लाइन चलाते हुए यदि पाँच जरीब नाप ली जाती हैं तो उस स्थान पर गोल चिन्ह बना देते हैं इसे पंजा कहते हैं। इसे मानचित्र (शजरा) में भी बना देते हैं जिससे बाद में आगे शिकमी लाइनें (उपरेखायें) डालकर गाटावार सर्वेक्षण सरलता से किया जा सके। उसी लाइन को बार बार न नापना पड़े। पंजा में केवल एक ही ओर (दाई तरफ) स्थल पर बनायी जाती है। जैसे-







4. गोदा- गोल आकार का नुकीला किया हुआ वह चिन्ह होता है जो किसी लायन पर सर्वेक्षण की सरलता के लिए सुविधानुसार दूरी पर गड्ढा खोदकर स्थल पर बना दिया जाता है। इसे मानचित्र में भी दर्शा देते हैं ट्रेबर्स से या स्थल (पुख्ता) से गोदा तक अथवा एक गोदा से दूसरे गोदा तक अवश्यकतानुसार लाइन देकर मिला दिया जाता है। शिकमी लाइन नहीं चलाई जा सकती है उस भूमि का इन लाइनों की सहायता से सर्वेक्षण पूरा किया जाता है।






5. तूदा- यह चिन्ह स्थल पर पक्का बना होता है। जो अभिलेख क्रिया या बन्दोबस्त के समय ग्राम सीमा की टेढ़ या झुकाव पर बनाया जाता है। इससे सर्वेक्षण में भी सहायता ले लेते हैं। जैसे-





6. कटान बिंदु- सर्वेक्षण करते समय जरीबी लायन पर जरीब चलाने में जब किसी - गाटे की सीमा को जरीब पार करती है तो जरीबी लाइन की दूरी पर जहाँ वह काटे तो उस दूरी को कटान बिन्दु इंगित करने हेतु फील्ड बुक में अंकित करते हैं तथा स्थल पर फावड़े कुदाल या खुर्पा से खोद कर चिन्ह बना देते हैं। इससे बाद की शिकमी लायनें चलाई जा सकती हैं। फील्ड बुक में दोनों ओर शून्य लिखकर इसे व्यक्त करते हैं, क्रास बनाकर नहीं जैसे-






7. तिमेड़ा (सिमेड़ा)- मेड़ों के मिलने का वह स्थान जो तीन मेड़ों के मिलने से बनता है ये तीन दो या तीन गाों से बन सकती हैं। इन्हें भली प्रकार जाँच कर स्थायी विन्दु हेतु प्रयोग कर सकते हैं। जैसेIहै। वह ऐसे स्थान पर स्थित होता है जहाँ एक होविन्दु पर चार ग्रामों की सीमायें आकर मिलती हैं। इन सभी को इंगित करने हेतु ग्रामें का सोमा द्योतक चिन्ह हे तथा स्थायी बिन्दु के प्रयोग का भी अच्छा व विश्वसनीय आधार है। लेखपाल परताल के समय उपर्युक्त नियम के अनुसार इसके सही व नियत स्थान पर लगे होने की जाँच करता है (नियम 111 भूमिलेख नियमावली)






11.दोहद्दा(दो सिमान)- -वह सीमा घोतक चिन्ह है जो ऐसे स्थान पर लगा होता है जहाँ दो ग्रामों की सीमायें आकार मिलती हैं। यह पत्थर या ईंट व चूने या ईंट तथा सीमेण का बना होता है। यह स्थायी विन्दु माने जाने का अच्छा विश्वसनीय आधार है। लेखपाल चिन्हों को भी परताल के समय जाँच का उनके ठीक होने तथा अपने सही स्थान पर बने होने का सत्यापन करता है। (नियम 111 भूमि लेख नियमावली) सभी प्रकार के सीमा चिन्हों का तिहायी भाग भूमिगत रहता है तथा मात्र एक तिहाई भाग ऊपर दिखता है। इस चिन्ह को हटाना या क्षति पहुंचाना दण्डनीय है (धारा 23 व 29 भूराजस्व अधिनियम)










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