उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 80 क्या है।UP Rajasva Sanhita ki Dhara 80 kya hai|UP Revenue code 2006 section 80
राजस्व संहिता 2006 की धारा 80 क्या है |UP Revenue code 2006 section 80 |UP Rajasv sanhita 2006 dhara 80 kya hai
धारा-80 औद्योगिक, वाणिज्यिक या आवासीय प्रयोजनों के लिए जोत का उपयोग -
(1) जहां संक्रमणीय अधिकार वाला भूमिधर अपनी जोत या उसके भाग का, औद्योगिक, वाणिज्यिक या आवासीय प्रयोजन के लिए उपयोग करता है, वहां उप जिलाधिकारी स्वप्रेरणा से या ऐसे भूमिधर द्वारा आवेदन किये जाने पर यथाविहित जांच करने के पश्चात्, या तो यह घोषणा कर सकता है कि यह भूमि कृषि से भिन्न प्रयोजन के लिए उपयोग में लाई जा रही है या प्रार्थना-पत्र को नामंजूर कर सकता है। उप जिलाधिकारी ऐसी घोषणा या नामंजूरी के कारणों का उल्लेख लिखित रूप में करेगा और प्रार्थना-पत्र की प्राप्ति के दिनांक से पैतालीस कार्य दिवसों के अन्दर अपने विनिश्चय को सूचना आवेदक को देगा :
परन्तु यह कि इस धारा के अन्तर्गत ऐसी कोई घोषणा मात्र इस आधार पर नहीं की जायेगी कि जोत या उसका भाग चाहरदीवारी से घिरा है या मौके पर "परती" है।
परन्तु यह और कि इस उपधारा के अन्तर्गत घोषणा के लिए भूमिधरी भूमि में अविभाजित हित रखने वाले किसी सह-भूमिधर द्वारा दिया गया प्रार्थना-पत्र तब तक पोषणीय नहीं होगा, जब तक कि ऐसी भूमिधरी भूमि के सभी सह भूमिधरों द्वारा प्रार्थना-पत्र नहीं दिया जाता है या उसमें उनके हितों का विभाजन विधि के - उपबन्धों के अनुसार नहीं कर दिया जाता है।
(2) उपधारा (1) के अधीन घोषणा करने के आवेदन में ऐसे विवरण होंगे और उसे ऐसी रीति से दिया जायेगा जैसी विहित की जाय।
(3) जहां उपधारा (1) के अधीन आवेदन-पत्र जोत के किसी भाग के सम्बन्ध में दिया जाए, वहां उप जिलाधिकारी विहित रीति से ऐसे भाग का सीमांकन ऐसी घोषणा के प्रयोजन के लिए कर सकता है।
(4) इस धारा के अधीन उप जिलाधिकारी द्वारा कोई घोषणा जारी नहीं की जायेगी यदि उसका यह
समाधान हो जाय कि भूमि का उपयोग उस प्रयोजन के लिये किया जाना हो जिससे सार्वजनिक न्यूसेन्स ]
होने की सम्भावना है या सार्वजनिक व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा या सुविधा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने
की संभावना है या महायोजना में प्रस्तावित उपयोगों के विरुद्ध हो।
(5) राज्य सरकार इस धारा के अन्तर्गत घोषणा के लिए शुल्क का मानक नियत कर सकती है और
भिन्न-भिन्न प्रयोजनों के लिए भिन्न-भिन्न शुल्क नियत किया जा सकता है : परन्तु यह कि यदि आवेदक जोत या उसके किसी भाग को अपने निजी आवासीय प्रयोजन के लिए उपयोग में लाता है तो इस धारा के अन्तर्गत घोषणा के लिए कोई शुल्क अधिरोपित नहीं किया जायेगा।]
धारा 81- घोषणा का परिणाम जहां धारा 80 के अधीन घोषणा की जाय वहां ऐसे जोत या उससे सम्बन्धित भाग के सम्बन्ध में निम्नलिखित परिणाम होंगे-
(क) भूमि के अन्तरण के सम्बन्ध में इस अध्याय के द्वारा या अधीन आरोपित सभी निबन्धन संक्रमणीय अधिकारों वाले भूमिधर के लिए लागू नहीं रह जायेंगे
(ख) '[अध्याय ग्यारह] में किसी बात के होते हुए भी उक्त घोषणा के दिनांक के अनुगामी [ कृषि वर्ष ] के प्रारम्भ के [दिनांक ] से ऐसी भूमि भू-राजस्व के भुगतान से मुक्त होगी;
(ग) भूमिधर, न्यागमन के विषय में उस वैयक्तिक विधि से नियंत्रित होगा जिसके यह अधीन है।
राजस्व संहिता 2006 धारा 82|UP Rajasv sanhita 2006 dhara 82 kya hai
धारा 82- घोषणा का रद्द किया जाना
(1) जब कभी किसी ऐसी जोत या उसके भाग, जिसके सम्बन्ध में धारा 80 के अधीन घोषणा की गयी है. कृषि से सम्बन्धित किसी प्रयोजन] के लिये उपयोग किया जाता है तब उप जिलाधिकारी स्व-प्रेरणा से या इस निमित्त आवेदन दिए जाने पर ऐसी जांच करने के पश्चात् जैसी विहित की जाए ऐसी घोषणा को रद्द कर सकता है।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन कोई घोषणा रद्द की जाए वहां जोत या उससे सम्बन्धित भाग के सम्बन्ध में निम्नलिखित परिणाम सुनिश्चत किए जायेंगे, अर्थात्-
(क) जोत या उसका भाग अन्तरण और न्यागमन के विषय में इस अध्याय के द्वारा या अधीन आरोपित सभी निबन्धनों के अधीन हो जाएगा।
(ख) जोत या उसके भाग का उस कृषि वर्ष के जिसमें घोषणा को रद्द करने का आदेश दिया जाए, प्रारम्भ के दिनांक से भू-राजस्व का भुगतान किया जाएगा परन्तु जब तक इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसी जोत या भाग का कोई भू-राजस्व [ पुनर्निर्धारित ] न किया जाए तब तक धारा 80 के अधीन घोषणा किए जाने के पूर्व ऐसी जोत या उसके भाग के सम्बन्ध में देय या देय समझे गए भू-राजस्व को ऐसी जोत या भाग के सम्बन्ध में देय भू-राजस्व समझा जाएगा;
(ग) जहां भूमि किसी संविदा या पट्टा के आधार पर उसके भूमिधर से भिन्न किसी व्यक्ति के कब्जे में हो और ऐसी संविदा या पट्टा के निबन्धन इस संहिता के उपबन्धों] से असंगत हो, वहां ऐसी संविदा या पट्टा, ऐसी असंगति की सीमा तक शून्य हो जाएगा और कब्जाधारी व्यक्ति को भूमिधर के बाद पर बेदखल किया जा सकेगा :
परन्तु घोषणा के रद्द किए जाने के दिनांक को विद्यमान भूमि बन्धक को ऐसी भूमि पर [ देय एवं प्रतिभूत] धनराशि के लिये दृष्टि बन्धक द्वारा प्रतिस्थापित समझा जाएगा जिसकी ब्याज की दर ऐसी होगी जैसी विहित की जाए।
राजस्व संहिता की धारा 80 के लिए आवेदन कैसे करे।Up Rajasv sanhita 2006 dhara 80 ke liye avedan kaise kre
(1) संक्रमणीय अधिकार वाला भूमिधर जो अपने जोत या उसके किसी भाग के उपयोग कृषि से जुड़े हुये कार्यों में नहीं कर रहा है तो यह संहिता की धारा 80 (1) के अन्तर्गत आर० सी० प्रपत्र-25 में उप जिलाधिकारी को उसकी उद्घोषणा हेतु आवेदन कर सकता है।
(2) आवेदक उद्घोषणा शुल्क की आवश्यक रकम जमा करेगा जो कि सम्बन्धित जिले के कलेक्टर द्वारा कृषि प्रयोजन के लिये निर्धारित सर्किल रेट के अनुसार आगणित रकम का एक प्रतिशत अथवा समय- समय पर राज्य सरकार द्वारा नियत दर के अनुसार होगा।
(3) उपनियम (1) के अन्तर्गत यदि उप जिलाधिकारी को आवेदन प्राप्त होता है तो वह राजस्व अधिकारी जो राजस्व निरीक्षक के पद से नीचे का नहीं होगा, से अपना यह समाधान करने के लिये जांच करायेगा कि उस सम्पूर्ण जोत अथवा उसके किसी भाग पर कृषि से जुदा हुआ कोई कार्य नहीं हो रहा है। सम्बन्धित राजस्व अधिकारी मौका मुआईना कर यह आख्या उप जिलाधिकारी को प्रस्तुत करेगा की जोत अथवा उसका भाग वास्तव में किस प्रयोजन के लिये प्रयोग में लाया जा रहा है।
भूमिधर को सूचना (धारा 80 )-
जब धारा 80 (1) के अन्तर्गत कार्यवाही उप जिलाधिकारी द्वारा स्वप्रेरणा से प्रारम्भ की गयी हो वहां वह सम्बन्धित भूमिधर को नोटिस देगा और भूमिधर द्वारा उस नोटिस के जवाब, यदि कोई हो, दिये जाने के पश्चात् नियम 85 (3) के अन्तर्गत जांच कर आख्या प्रस्तुत की जायेगी।
घोषणा का किया जाना (धारा 80) -
यदि राजस्व अधिकारी की आख्या की परीक्षण करने के बाद उप जिलाधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि
(क) सम्पूर्ण जोत पर कृषि से सम्बन्धित कार्य नहीं हो रहा है; और
(ख) धारा 80 (4) में उल्लिखित शर्तें पूरी हो रही हैं तब वह धारा 80 (1) के अन्तर्गत ऐसी जोत के सम्बन्ध में उद्घोषणा करेगा।
भू-राजस्व का विभाजन (धारा 80 ) –
(1) यदि संक्रमणीय अधिकार वाले भूमिधर द्वारा अपनी जोत के केवल किसी भाग का प्रयोग कृषि से भिन्न प्रयोजन के लिये किया जा रहा है और उप जिलाधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि धारा 80 (1) के द्वितीय परन्तुक के उपबन्धों का उल्लंघन नहीं है, तो वह केवल ऐसे भाग के सम्बन्ध में उद्घोषणा कर सकेगा, बशर्ते कि नियम 22 के उपनियम (2) के अनुसार विभाजन का खर्च ऐसी घोषणा के पहले भूमिधर द्वारा जमा कर दी गयी हो।
(2) जहां उप जिलाधिकारी जोत के किसी भाग के सम्बन्ध में घोषणा के लिये स्वप्रेरणा से कार्यवाही करता है वहां ऐसे सीमांकन का खर्च उप जिलाधिकारी द्वारा भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूला जायेगा।
(3) उपनियम (1) अथवा उपनियम (2) के अन्तर्गत घोषणा के प्रत्येक प्रकरण में विद्यमान सर्वे मानचित्र के आधार पर सीमांकन किया जायेगा और उप जिलाधिकारी ऐसे भूमिधर द्वारा देय भू-राजस्व का विभाजन करेगा।
(4) उप जिलाधिकारी आवेदन के दर्ज किये जाने के दिनांक से पैंतालीस दिनों की अवधि के अन्दर धारा 80 की उपधारा (1) के अन्तर्गत उद्घोषणा को कार्यवाही को पूर्ण करने का प्रयास करेगा और यदि कार्यवाही ऐसी अवधि के अन्दर पूर्ण नहीं की जाती है तो उसका कारण अभिलिखित किया जायेगा।
राजस्व संहिता की धारा 80 का निरस्तीकरण -
जहां कि किसी जोत या उसके किसी भाग की उद्घोषणा, धारा 80 तथा पुराने उ० प्र० जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 को धारा 143 की गई है, उस जोत अथवा उसके किसी भाग पर पुनः कृषि से सम्बन्धित कार्य शुरू कर दिया जाता है तो, धारा 82 के अन्तर्गत उद्घोषणा को रद्द किये जाने हेतु आवश्यक आवेदन आर० सी० प्रपत्र 26 में प्रस्तुत किया जा सकता है।