प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना उत्तर प्रदेश। स्वामित्व योजना क्या है।उत्तर प्रदेश में स्वामित्व योजना के अंतर्गत आबादी सर्वेक्षण के लिए आवश्यक दिशानिर्देश और जानकारी।Svamitva yojana kya hai।Svamitva yojana shasnadesh pdf । elekhpal.com
- स्वामित्व योजना क्या है।
- स्वामित्व योजना में प्रयोग होने बाले सभी प्रारूप या प्रपत्र की जानकारी।
- स्वामित्व योजना की संक्षिप्त प्रक्रिया।
- स्वामित्व योजना में ड्रोन सर्वे हेतु ग्रामों का चयन।
- सर्वेक्षण के समय सर्वे टीम द्वारा किया जाने वाला कार्य।
- 30 प्रकार की संरचनाओं के चिन्हांकन में सावधानियाँ।
- प्रारूप 4,5 व मानचित्र के मिलान में सावधानी।
- मानचित्र-1 में संख्याकन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ।
- स्वामित्व योजना में सर्वेक्षण प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन ।
स्वामित्व योजना क्या है
स्वामित्व योजना की संक्षिप्त प्रक्रिया-
स्वामित्व योजना में ड्रोन सर्वे हेतु ग्रामों का चयन-
- चयनित ग्राम राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित ग्रामों में ऐसे ही होना चाहिए।
- चयनित ग्राम गैर आबाद नहीं होना चाहिए।
- चयनित ग्राम राजस्व ग्राम ही होना चाहिए अर्थात नगर निकाय आज में सम्मिलित नहीं होना चाहिए।
- ग्राम की आबादी ग्राम की पुरानी आबादी गाटा पर ही अवस्थित होनी चाहिए।
प्रारूप 4,5 व मानचित्र के मिलान में सावधानी-
- मानचित्र -1, प्रारूप- 4 और प्रारूप -5 में आबादी गाटा के अंदर कुल भूखण्डों की संख्या समान होनी चाहिये।
- मानचित्र -1 में कोई भूखण्ड बिना संख्याकन के नही होना चाहिए।
- मानचित्र -1 में दर्शाये गए सभी घरों या भूखण्ड के आवागमन के लिए कोई एक रास्ता अवश्य होना चाहिए।
- यदि किसी ग्राम में आबादी गाटा के अन्दर के भूखण्ड में कोई ग्राम समाज या सरकारी संपत्ति नही दर्शायी गयी है,तो सहायक अभिलेख अधिकारी या तहसीलदार में से किसी एक के द्वारा स्वयं स्थलीय सत्यापन कर इस तथ्य की पुष्टि की जाएगी।
सर्वेक्षण के समय सर्वे टीम द्वारा किया जाने वाला कार्य-
- सर्वेक्षण के समय सर्वे टीम द्वारा व्यक्तिगत संपत्ति, सरकारी संपत्ति, ग्राम सभा भूमि, सड़कें ,खुले भूखंड आदि की पहचान और सर्वेक्षण किए जाने वाले संपत्ति क्षेत्रों की सीमाओं का चिन्हांकन चूना लाइन द्वारा किया जाएगा।
- सर्वेक्षण के दौरान विवादित संपत्तियों को दोहरी चुना लाइन द्वारा दर्शाया जाएगा।अर्थात जिस भूखण्ड में विवाद होगा वह दोहरी चुना लाइन बनाई जाएगी वो किसी के नाम नही लिखी जाएगी।
- सर्वेक्षण के दौरान सोना लेने के समय प्रारूप 5 पर सूचना एकत्रित की जाएगी तथा इन सूचनाओं को परिषद के पोर्टल पर फिट कराया जाएगा।
30 प्रकार की संरचनाओं के चिन्हांकन में सावधानियाँ-
- परिशिष्ट-3 में क्रमशः क्रमांक- (1) लालडोरा, (7) पल/पुलिया, (8) रेलवे लाइन, (10) मोबाइल टावर,(11) बिजली का खम्बा, (12) ट्रांसफॉर्मर,(13) पानी की टंकी,(14) हैंडपंप,(15) नल,(16) ट्यूबवेल, (17) कुआं,(18) शौचालय को मात्र मानचित्र-1 में दर्शाया जाएगा तथा इसका संख्याकन नही किया जाएगा।
- परन्तु परिशिष्ट-3 के क्रमांक -(2) भवन/कार्यलय/मकान, (3) सड़क,(4) कच्चा रास्ता,(5) पक्की गली,(6) नाली,(9) नहर/नदी/झरना,(19) खाद के गड्ढे,(20) पशुओं का स्थान,(21) तालाब/जलाशय,(22)मैदान, (23) अंत्योष्टि स्थल, (24) धार्मिक स्थल, (25) पुरातत्व स्थल, (26) पेट्रोल पंप, (27) पार्क/उपवन ,(28) विद्यालय, (29) चिकित्सा केंद्र ,(30) दुकान का संख्याकन करते हुए इन्हें प्रारूप-5 में अंकित किया जाएगा।
मानचित्र-1 में संख्याकन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ-
- सर्वे ऑफ इंडिया से प्राप्त नक्शे पर संख्याकन करते समय ग्राम की सीमा को काले स्केच पेन से दर्शाय जाना चाहिए।
- सर्वे ऑफ इंडिया से प्राप्त नक्शे पर संख्याकन करते समय संपत्तियों की सीमा को लाल 0.5 mm जेल पेन से दर्शाया जाना चाहिए।
- एक व्यक्ति की एक स्थान की संपत्ति को एक नंबर देना है।
- आबादी भूखंड संख्या को संघटक या मिनजुमला में आवंटित नही किया जाएगा। इसी प्रकार एक आबादी भूखंड संख्या को एक ही बार लिखा जाएगा और उसी में,उस संपत्ति में रहने वाले समस्त व्यक्तियों के नाम लिख लिए जाएंगे।
- ग्राम सभा की संपत्ति तथा सड़क आदि को भी संख्याकन कर नक्शे पर दर्शाया जाएगा।
स्वामित्व योजना में सर्वेक्षण प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन-
उत्तर प्रदेश में संचालित स्वामित्व योजना में सर्वेक्षण प्रक्रिया के निम्न बिंदु हैं-
(1) सर्वेक्षण कार प्रारंभ करने के पूर्व राशन कार्ड द्वारा सर्वेक्षण क्षेत्र को अधिसूचित किया जाएगा।
(2)सी.ओ.आर.एस (CORS-Continuously Operated Receiver Station) की स्थापना भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा की जाएगी।
(3) सर्वेक्षण प्रारंभ करने के पूर्व जिलाधिकारी एक सार्वजनिक सूचना के माध्यम से सर्वेक्षण क्षेत्र को प्रकाशित करेंगे। ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण का कार्य अभिलेख अधिकारी /जिला अधिकारी तथा सहायक अभिलेख अधिकारी/ उपजिलाधिकारी के सतत पर्यवेक्षण में किया जाएगा। अभिलेख अधिकारी/ जिला अधिकारी तथा सहायक अभिलेख अधिकारी/उपजिलाधिकारी तैयार किए अभिलेखों का शुद्धता सुनिश्चित करेंगे।
(4) ग्राम आबादी में व्यक्तिगत संपत्ति और सरकारी संपत्तियों ग्राम सभा सड़कें भूखण्ड आदि की पहचान और सर्वेक्षण किए जाने वाले संपत्ति क्षेत्रों की सीमाओं का चिन्हांकन हेतु सर्वे टीम गठित की जाएगी। इन टीम में राजस्व विभाग तथा ग्राम पंचायत के कर्मचारी सदस्य होंगे सर्वेक्षण के समय शांति व्यवस्था के लिए आवश्यकतानुसार पुलिस बल की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
(5) पंचायती राज विभाग ग्राम के निवासियों को संरक्षण की अधिसूचना के बारे में सूचित करेगा और सर्वेक्षण पद्धति और उसके लाभ के बारे में समय संवेदनशील बनाने के लिए ग्राम सभा की बैठकें आयोजित करेगा।
(6) सर्वेक्षण के समय सभी टीम द्वारा निम्न कार्यवाही की जाएगी-
- व्यक्तिगत संपत्तियों, सरकारी संपत्ति, ग्राम सभा भूमि सड़कें, खुले भूखंड आदि की पहचान और सर्वेक्षण किए जाने वाले संपत्ति क्षेत्रों की सीमाओं का चिन्हांकन चूना लाइन द्वारा किया जाएगा विवादित संपत्तियों को दोहरी चूना लाइन द्वारा दर्शाया जाएगा।
- चुना लाइनिंग के समय ही प्रारूप 5 पर सूचना एकत्र की जाएगी तथा सूचना को परिषद के पोर्टल पर फीड कराया जाएगा।
(7) भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी क्षेत्र के मानचित्रण के लिए ड्रोन केमरे का उपयोग कर एरियल छलिया लिए जाएगी। ड्रोन के माध्यम से ली गई छवियों के जांच भारत की भौगोलिक सूचना प्रणाली प्रयोगशाला में की जाएगी तथा भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा आबादी मानचित्र एक तैयार कर सहायक अभिलेख अधिकारी/ उपजिलाधिकारी को उपलब्ध कराया जाएगा।
(8) सर्वेक्षण विभाग द्वारा मानचित्र एक उपलब्ध कराए जाने के बाद निम्न बिंदुओं को चेक किया जाए-
- मानचित्र -1, प्रारूप- 4 और प्रारूप -5 में आबादी गाटा के अंदर कुल भूखण्डों की संख्या समान होनी चाहिये।
- मानचित्र -1 में कोई भूखण्ड बिना संख्याकन के नही होना चाहिए।
- मानचित्र -1 में दर्शाये गए सभी घरों या भूखण्ड के आवागमन के लिए कोई एक रास्ता अवश्य होना चाहिए।
- यदि किसी ग्राम में आबादी गाटा के अन्दर के भूखण्ड में कोई ग्राम समाज या सरकारी संपत्ति नही दर्शायी गयी है,तो सहायक अभिलेख अधिकारी या तहसीलदार में से किसी एक के द्वारा स्वयं स्थलीय सत्यापन कर इस तथ्य की पुष्टि की जाएगी।
उपरोक्तानुसार प्रारूप 4, 5 व मानचित्र-1 का मिलान करके ही मानचित्र एक भारतीय सर्वेक्षण विभाग को दिया जाएगा। भारतीय सर्वेक्षण विभाग सभी त्रुटियों, नवीन सूचनाओं,संशोधन को समाहित करते हुए भूखण्डवार क्षेत्रफल के साथ आबादी का मानचित्र- 2 तैयार करेगा।
(10) प्रारूप-5 की फीडिंग पूर्ण होने के पश्चात सॉफ्टवेयर से श्रेणीवार भूखंडों की सूची निकालकर ,स्थलीय सत्यापन के समय उस सूची का मिलान व सत्यापन किया जाएगा ।
(11) प्रारूप-5 का संपूर्ण स्थलीय सत्यापन किया जाएगा एवं प्रारूप-5 के सत्यापन के पश्चात सत्यापन में पाई गई नवीन सूचना ,त्रुटियों की सूचना क्रमशः प्रारूप-6(1) पर तथा विवादों की सूचना प्रारूप-6(2) पर तैयार की जाएगी।
(12) इस प्रकार तैयार प्रारूप- 6(1) व प्रारूप-6(2) एवं समस्त सरकारी संपत्तियों, ग्राम पंचायत संपत्तियों तथा 30 प्रकार की संरचनाओं का शतप्रतिशत भौतिक सत्यापन राजस्व निरीक्षक द्वारा किया जाएगा। इसके बाद सत्यापन के दौरान प्रारूप 6 1 में पाई गई नवीन सूचनाएं,लिपिकीय त्रुटियों तथा अन्य समस्त त्रुटियों के क्रम में संशोधित अंकन प्रारूप-7 साथ में किया जाएग।
(13) राजस्व निरीक्षक द्वारा सत्यापन एवं संशोधन के पश्चात तैयार प्रारूप-7 आबादी मानचित्र-2 को तहसीलदार या नयाब तहसीलदार द्वारा सत्यापित किया जाएगा।
(14) सत्यापित प्रारूप-7 व मानचित्र-2 को तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वार उपजिलाधिकारी को आपत्ती आमंत्रित करने हेतु प्रकाशन किए जाने हेतु प्रेषित किया जाएगा।
(15) उप जिलाधिकारी द्वारा प्रारंभिक ग्रामीण आवासी आबादी अभिलेख प्रारूप-7 एवं मानचित्र-2 ग्राम सभा की खुली बैठक में प्रकाशित किया जाएगा एवं 15 दिन का समय देते हुए आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी ।
(16) इसके अतिरिक्त संबंधित लेखपाल द्वारा ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण प्रारूप-7,प्रारूप -8 ,प्रारूप-9 की भूखण्ड स्वामी वार प्रति निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी प्राप्ति के साक्ष्य हेतु सर्वेक्षण प्रपत्र संख्या 8 की कार्यालय प्रति पर भूखंड स्वामी के हस्ताक्षर सहित दो गवाहों के हस्ताक्षर कराए जाएंगे।
(17) समस्त आपत्तियों या उपजिलाधिकारी कार्यालय पर सर्वेक्षण प्रपत्र- 9 पर ही दी जाएंगी यदि कोई आपत्ति प्राप्त ना होने पर भूस्वामी की सहमति मानी जाएगी जैसा के प्रपत्र 8 में उल्लेखित है।
(18) प्रारूप-7 प्राप्त होने पर भूखंड स्वामी द्वारा प्रारूप-7 की बिंदु संख्या 7.4 व 7.10 से 7.19 की प्रविष्टियों तथा मानचित्र से संबंधित बिंदु संख्या 7.7 से 7.9 की प्रविष्टियों पर असहमत होने की दशा में साक्ष्य सहित अपनी आपत्ति सर्वेक्षण प्रारूप- 9 उपजिलाधिकारी को प्रस्तुत करेगा।
(19) आपत्तियां प्राप्त होने पर सहायक अभिलेख अधिकारी पक्षों को सुनेगा और सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण करेगा सुलह की स्थिति में संबंधित पक्षों के मध्य एक समझौता अभिलिखित किया जाएगा एवं उस पर संबंधित पक्षों के हस्ताक्षर या निशान अंगूठा प्राप्त किए जाएंगे।उसी अभिलेख पर सहायक अभिलेख अधिकारी अपना निस्तारण अंकित करेगा तथा इस निस्तारण का अंकन पोर्टल पर सर्वेक्षण प्रारूप- 9 के अभ्युक्ति स्तम्भ में किया जाएगा।
(20) विवादित संबंधी आपत्तियों के निस्तारण ना हो पाने पर सर्वेक्षण प्रारूप 9 के अभियुक्त स्तम्भ में 'विवादित' अंकित किया जाएगा।
(21) सहायक अभिलेख अधिकारी द्वारा प्रत्येक ग्राम के लिए भूखंडवार आपत्ति निस्तारण की स्थिति के अनुसार सर्वेक्षण प्रारूप- 9 में अभियुक्त का अंकन करते हुए अंतिम आबादी अभिलेख प्रारूप -10 तैयार किया जाएगा।
(22) सभी प्रकार के आदेशों का अंकन सर्वेक्षण प्रारूप- 9 में ही किया जाएगा। सर्वेक्षण प्रारूप-10 में किसी प्रकार के आदेश का अंकन नहीं किया जाएगा ।सर्वेक्षण प्रारूप -10 में मात्र 'विवादित' या 'लंबित' का अंकन किया जाएगा।
(23) आबादी भूखंड के अंतिम अधिकार अभिलेख प्रारूप-10 में आदेशों के आवश्यक रूपांतरण एवं परिवर्तन के बाद अंतिम आबादी आवासीय अभिलेख सर्वेक्षण प्रारूप- 10 और अंतिम भू मानचित्र -3 की पुष्टि करेगा तथा अंतिम अभिलेखों के प्रकाशन की कार्यवाही हेतु अभिलेख अधिकारी (जिलाधिकारी) को प्रेषित करेगा।
(24) अभिलेख अधिकारी (जिलाधिकारी ) अपनी संतुष्टि के पश्चात ग्राम को सभी प्रक्रिया से बाहर करने की अधिसूचना प्राख्यापन लिए राज्य सरकार को प्रेषित करेगा।
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Nice post
ReplyDeleteThanks
DeleteSvamitwa yojna ki gharauni parpatra10 ki aapatti darj krne ki dhaara btayie jo sdm coart me aapatti darj ki jaati hai
ReplyDeleteKisi ko aapatti ki dhaara pta ho to btaye gharuni parptra 10 ki aapatti darj krne ki dhaara
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