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तत्सम और तद्भव शब्द क्या हैं।देशज और विदेशज शब्द क्या है परिभाषा तथा उदाहरण।

तत्सम और तद्भव शब्द क्या हैं।देशज और विदेशज शब्द क्या है परिभाषा तथा उदाहरण।

Tatsam,tadbhav,deshaj,videshaj shabd kya hai


शब्द रचना-


भाषा की परिवर्तन शीलता उसकी स्वाभाविक क्रिया है समय के साथ संसार की सभी भाषाओं की रूप बदलते हैं हिंदी भाषा भी भाषा परिवर्तन का परिणाम है। संस्कृत के अनेक शब्द पाली प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिंदी में आए हैं। इनमें कुछ शब्द ज्यों के त्यों अपने मूल रूप में हैं। और कुछ देश काल के प्रभाव के कारण विकृत हो गए हैं। 



उत्पत्ति के आधार पर इन शब्दों को चार भागों में बांटा जा सकता है ।


(1)तत्सम 

(2)तद्भव 

(3)देशज 

(4)विदेशज



तत्सम शब्द -


हिंदी में अनेक शब्द संस्कृत से सीधे आए हैं। और वर्तमान में उसी रूप में प्रयोग हो रहे हैं इस प्रकार संस्कृत के ऐसे शब्द जो हिंदी भाषा में ज्यो के त्यों प्रयोग हो रहे हैं ।तत्सम शब्द कहलाते हैं।


जैसे -  कर्तव्य ,अंधकार ,अग्नि, आदि। 



तद्भव शब्द -


ऐसे शब्द जो संस्कृत और प्राकृत से विकृत होकर हिंदी में आये है तद्भव शब्द कहलाते  हैं ।

तत्+ भव  का अर्थ है ।उससे (संस्कृत से) उत्पन्न वे शब्द संस्कृत से सीधे न आकर पाली, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिंदी में आए हैं। इसके लिए इन्हें एक लंबी यात्रा तय करनी पड़ी है। 



जैसे - आग, फूल, चौथा।

तदभव                 तत्सम

अमिय                  अमृत

अगम                   अगम्य

अमचूर                 आम्रचूर्ण

अनाज                  अन्य

अदरक                 अद्रर्दक

अमोल                  अमूल्य

अमावस               अमावस्या

अँगूठा                  अंगुष्ठ

अचरज                 आश्चर्य





देशज शब्द- 


ऐसे शब्द जिनकी व्युत्पत्ति का पता नहीं चलता देशज शब्द कहलाते हैं ।यह बोलचाल की भाषा से सदा उत्पन्न होते हैं ।

जैसे - तेंदुआ ,चिड़िया ,खिड़की ,लोटा, डिबिया, आदि। 





विदेशज शब्द- 


विदेशी भाषाओं से हिंदी भाषा में आए शब्द विदेशज शब्द कहलाते हैं ।

जैसे -अजीब, अदालत, अपील, कोर्ट ,आमदनी ,आपत्ति, स्टेशन ,ऑफिस, क्लर्क, गार्ड, आदि।