व्यंजन क्या है? व्यंजन के प्रकार कितने होते है?परिभाषा और उदाहरण।स्पर्श व्यंजन, अंतस्थ व्यंजन, ऊष्म व्यंजन किसे कहते है? संयुक्त व्यंजन ,उत्क्षिप्त व्यंजन क्या है।
इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि व्यंजन किसे कहते हैं व्यंजन की परिभाषा क्या है ,व्यंजन के कितने प्रकार हैं स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं, स्पर्श व्यंजन कितने होते हैं ,अंतस्थ व्यंजन किसे कहते हैं अंतस्थ व्यंजन कितने होते हैं उष्म व्यंजन किसे कहते हैं ,संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं ,उत्क्षिप्त व्यंजन किसे कहते हैं इन सभी टॉपिक इन सभी टॉपिक के बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे साथ ही उदाहरण भी बताएंगे। इस पोस्ट में व्यंजनों के सभी प्रकारों के बारे में बताया जाएगा।
व्यंजन की परिभाषा-
वे वर्ण जो स्वर के सहारे बोले जाते है उन्हें व्यंजन कहते है
वे वर्ण जिनके उच्चारण म् बायु मुख से बाधित होती है।
वायु किसी न किसी स्थान को स्पर्श करती है।
व्यंजनों की संख्या कितनी होती है-
हिंदी में 33 व्यंजन होते है।
(1) स्पर्श व्यंजन। - 25
(2) अंतस्थ व्यंजन - 4
(3) उष्म व्यंजन - 4
(1) स्पर्श व्यंजन :-
वे व्यंजन जिनकी उच्चारण में निकलने वाली वायु विभिन्न उच्चारण स्थानों में से किसी ना किसी स्थान को स्पर्श करती है या टकराती हुई बाहर निकलती है तो उसे स्पर्श व्यंजन कहते हैं।
क् से म् तक 25 स्पर्श व्यंजन होते है।
25 स्पर्श व्यंजनों को 5-5 के 5 वर्गों में बांटा गया है और प्रत्येक वर्ग का नामकरण उसके पहले वर्ण नाम पर किया जाता है।
क् वर्ग- क ख ग घ ङ
च वर्ग- च छ ज झ ञ
ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण
त वर्ग- त थ द ध न
प वर्ग- प फ ब भ म
(2) अंतस्थ व्यंजन :-
वे वर्ण जिनके उच्चारण में वायु मुख्य में विभिन्न उच्चारण स्थानों में बहुत हल्का सा स्पर्श करती है उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं।
य, र ,ल ,व को अंतस्थ व्यंजन कहते हैं।
अंतस्थ व्यंजन को ही अर्ध स्वर कहते हैं
य, व को विशेष रूप से अर्ध स्वर भी कहा जाता है।
(3) ऊष्म व्यंजन :-
वे व्यंजन जिनके उच्चारण में जीह्वा उच्चारण स्थान के इतने समीप होती है कि निकलने वाली वायु जीह्वाऔर उच्चारण स्थान के मध्य घर्षण करती हुई बाहर निकलती है उसे ऊष्म व्यंजन कहते हैं। उष्म व्यंजनों की संख्या 4 है। श,ष,स,ह ऊष्म व्यंजन हैं।
हिंदी में प्रयुक्त अन्य व्यंजन-
संयुक्त व्यंजन :-
जब एक आधा और एक पूरा व्यंजन आपस में जोड़ते हैं तो उससे संयुक्त व्यंजन का निर्माण होता है इसमें पहला व्यंजन आधा हुआ दूसरा व्यंजन पूरा होता है।संयुक्त व्यजंनों की संख्या 4 है।
उत्क्षिप्त व्यंजन :-
वे व्यंजन जिनके उच्चारण में जिह्वा झटके से ऊपर की ओर उठती है उन्हें उत्क्षिप्त व्यंजन कहते हैं। ङ और ढ दो उत्क्षिप्त व्यंजन है।
उत्क्षिप्त व्यंजनों को द्विगुण व्यंजन भी कहा जाता है। द्विगुण व्यंजन कभी भी शब्द के प्रारंभ में नहीं आते हैं या तो मध्य में आते हैं या फिर शब्द के अंत में आते हैं।
जैसे- सड़क, मेढ़क आदि।
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