🌾 ज़मीन की वरासत कैसे करवाएँ?
📌 1. वरासत का मतलब
जब ज़मीन के मालिक की मृत्यु हो जाती है तो उसकी ज़मीन उसके कानूनी वारिसों (बेटा, बेटी, पत्नी, माता आदि) के नाम दर्ज की जाती है।इस प्रक्रिया को ही वरासत / नामांतरण / दखिल-खारिज (Mutation of Land) कहते हैं।
📌 2. ज़रूरी दस्तावेज
1. मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र
2. सभी वारिसों का आधार कार्ड/पहचान पत्र
3. परिवार रजिस्टर नकल / राशन कार्ड
4. ज़मीन की खसरा-खतौनी की नकल
5. सभी वारिसों का हलफनामा (Affidavit) कि कोई विवाद नहीं है
ऑफलाइन प्रक्रिया (तहसील में)
1. तहसील/राजस्व विभाग में जाकर वरासत आवेदन पत्र भरें।
2. ज़रूरी दस्तावेज़ आवेदन के साथ लगाएँ।
3. लेखपाल मौके पर जाकर ज़मीन और वारिसों की जांच करता है।
4. पंचायत भवन/तहसील में सूचना चस्पा की जाती है ताकि कोई आपत्ति हो तो दर्ज कर सके।
5. अगर आपत्ति नहीं होती तो तहसीलदार/SDM आदेश देकर वारिसों का नाम खतौनी में दर्ज कर देते हैं।
---
📌 4. ऑनलाइन प्रक्रिया (e-Varasat / e-Mutation)
अब कई राज्यों में यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
🔹 Step 1: पोर्टल खोलें
उत्तर प्रदेश → bhulekh.up.gov.in
बिहार → biharbhumi.bihar.gov.in
मध्य प्रदेश → mpbhulekh.gov.in
राजस्थान → apnakhata.raj.nic.in
🔹 Step 2: “Mutation/वरासत” चुनें
“e-Mutation / e-Varasat” सेवा पर क्लिक करें।
🔹 Step 3: लॉगिन/रजिस्टर करें
मोबाइल नंबर से पंजीकरण करके Login करें।
🔹 Step 4: आवेदन भरें
मृतक का नाम, खसरा नंबर, गाँव/तहसील और वारिसों का विवरण भरें।
🔹 Step 5: दस्तावेज अपलोड करें
मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर, आधार कार्ड, हलफनामा आदि।
🔹 Step 6: आवेदन सबमिट करें
आवेदन सबमिट करने पर आपको Acknowledgement Number मिलेगा।
🔹 Step 7: जांच और आदेश
लेखपाल व तहसीलदार ऑनलाइन जांच करेंगे।
आप “Application Status” में जाकर स्टेटस देख सकते हैं।
आदेश होने पर नाम खतौनी में दर्ज हो जाएगा।
---
📌 5. ध्यान देने योग्य बातें
सभी वारिसों की सहमति होनी चाहिए।
नाबालिग वारिस का हिस्सा सुरक्षित रखा जाता है।
विवाद होने पर मामला राजस्व न्यायालय में जाएगा।
प्रक्रिया पूरी होने के बाद नई खतौनी में आपका नाम दर्ज हो जाएगा।
---
✅ निष्कर्ष
ज़मीन की वरासत करवाना बहुत ज़रूरी है ताकि:
कानूनी हक सुरक्षित रहे
सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके
भविष्य में बिक्री/रजिस्ट्री/लोन आदि में दिक्कत न हो
👉 वरासत आप तहसील (ऑफलाइन) या भूलेख पोर्टल (ऑनलाइन) दोनों तरीकों से करवा सकते हैं।