जीवन परिचय क्या होता है।जीवनी किसे कहते हैं।Jivan parichay kya hota hai।Jivani kise kehte hai
नमस्कार दोस्तो मेरी वेबसाइट elekhpal.com में आपका स्वागत है।आज की पोस्ट में बताएंगे कि जीवनी क्या होती है,जीवनी किसे कहते है,जीवनी की परिभाषा क्या है,जीवन परिचय क्या होता है, जीवन परिचय किसे कहते है,।जीवनी की विशेषताएँ कौन कौन सी हैं?जीवनी कितने प्रकार की होती है।लेखक परिचय क्या होता है।कवि परिचय किसे कहते हैं।बॉयोग्राफी क्या होती है।इस पोस्ट में जीवनी के साथ साथ कुछ महत्वपूर्ण कवियों और लेखकों के जीवन परिचय की लिंक भी दी जाएगी, जिस पर जाकर लेखकों और कवियों के जीवन परिचय या जीवनी के बारे में जान सकते हैं।Jivani kise kehte hai,jivani kya hoti hai, jivan parichay kya hota hai,jivan parichay kise kehte hai,what is biography,jivan parichay aur kavi parichay kya hote hai। jivani ki visheshtaye kaun kaun si hai
जीवन परिचय क्या होता है। What is Biography
साधारण शब्दों ने जीवन परिचय से तात्पर्य किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व की वह परिभाषा है जो उसके विषय में सामने वाले को जानकारी देता है | यह एक ऐसा पात्र से है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति का जन्म स्थान, नाम, पता, उसके माता-पिता का नाम के साथ- साथ उस व्यक्ति ने अपने जन्म से लेकर अब तक की यात्रा में कौन-कौन संघर्ष किये उसका जीवन किन हालातों से गुजरा, उसके बचपन की शिक्षा कहाँ से और कैसे ग्रहण की हुयी तथा इन संघर्षों से निकलने के लिए उसने किन-किन पहलुओं पर कार्य किया और इन सब से ऊपर निकलने के बाद उसके द्वारा रचित विभिन्न रचनाओं,नाटकों, साहित्यों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
जीवनी क्या होती है।Jivani kya hoti hai
जीवनी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा होती है किसी भी व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन का चरित्र -चित्रण करना ही उसकी जीवनी कहलाती है| जीवनी का अंग्रेजी भाषा में अर्थ "बायोग्राफी" है जिसके अन्तर्गत व्यक्ति विशेष के जीवन में घटने वाली सभी घटनाओं का कलात्मक और सौदर्यता के साथ उन सभी का चित्रण किया जाता है। जीवनी में अतीत का चित्रण और सत्य घटनाओ का क्रमबद्ध विवरण मिलता है। जीवनी में लेखक व्यक्ति के जीवन संघर्षो के साथ-साथ उसके आन्तरिक स्वभाव और व्यक्तित्व का चित्रण करता है।
जीवनी की परिभाषा (Definition of Jivani)
डॉ रामप्रकाश (डी.यु प्रोफेसर) के अनुसार आधुनिक काल में “पद्य” के साथ-साथ “गद्य” की बहुलता और उसमे विविध विधाओं की रचना पद्धति की प्रचुरता होने के कारण पुराने ढंग के चरित-काव्य के स्थान पर भी नए ढंग के गद्यबध्द चरित्र अथवा जीवनवृत लिखने की परम्परा चली जिसका संक्षिप्त एवं सर्वेसम्मत परिभाषिक नाम “जीवनी” है।
श्री रामनाथ सुमन के अनुसार “जीवन की घटनाओं के विवरण का नाम जीवनी है. लेखक यहाँ नायक के जीवन में छिपे उसके विकास को, उसके व्यक्तित्व के रहस्य को, उसकी मुख्य जीवन धरा को खोलकर पाठको के सामने रख देता है, वहाँ जीवनी लेखनकला सार्थक होती है. ऊपर से मनुष्य के दिखाई पड़ने वाले रूप को दिखाकर ही जीवनी लेखन कला संतुष्ट नहीं होती, वह उस आवरण को भेदकर अंत: स्वरूप और आंतरिक सत्य को प्रत्यक्ष करती है।
बाबू गुलाबराय के अनुसार“जीवनी घटनाओ का अंकन नहीं वरन चित्रण है. वह साहित्य की विधा है और उसमे साहित्य और काव्य के सभी गुण है. वह एक मनुष्य के अंतर और बाहर स्वरूप का कलात्मक निरूपण है।
जीवनी और आत्मकथा में क्या अन्तर है|Jivani aur atm katha me antar
जीवनी किसी व्यक्ति के द्वारा किसी वयक्ति के सम्पूर्ण जीवन के बारे में लिखी जाती है इस तरह से हम कह सकते है इसकी प्रमाणिकता अपेक्षाकृत कम होती है तथा यह वस्तुनिष्ठ होती है जबकि आत्मकथा व्यक्ति व्यक्ति के द्वारा स्वमं लिखी जाती हैइस तरह आत्मकथा में सभ तत्थ्य सत्याश्रित होते है और यह आत्मनिष्ठ होती है।
जीवनी की विशेषताएँ कौन कौन सी है?
जीवनी उसी व्यक्ति की लिखी जाती है जिसमें चारित्रिक विशेषताएँ हों और लोग उस व्यक्ति के जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर सकें। इस दृष्टि से आम तौर पर इतिहास में प्रसिद्ध और अपने क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्तियों की ही जीवनी लिखी जाती है।
जीवनी का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब तथ्य और घटनाक्रम प्रामाणिक हो अन्यथा वह कथा साहित्य होगा, जिसमें आदर्श चरित्र या कथानायक की सृष्टि की जाती है। जीवनी कथा साहित्य नहीं है, इसलिए जब तक वह प्रामाणिक न हो, लोग उसे प्रेरणास्पद नहीं मानेंगे। यह बात लेखक की विश्वसनीयता से भी जुड़ती है।
जीवनी में नायक या नायिका के प्रति लेखक में आदर, श्रद्धा और गर्व का भाव होना चाहिए, जिससे वह आदर्श चरित्र की प्रमुख विशेषताओं को उजागर कर सके। लेखक का काम इतना ही नहीं है कि वह ऐतिहासिक क्रम से घटनाओं का प्रस्तुतिकरण कर दे। वह आदर्श चरित्र की उन विशेषताओं को ढूंढ निकालता है, जो पहली नजर में सामने नहीं आते। संवेदना और आदर्श चरित्र के साथ संबंधों के आधार पर कई तरह की जीवनियाँ होती है। ये हैं- आत्मीय जीवनी, लोकप्रिय जीवनी, कलात्मक जीवनी और मनोवैज्ञानिक जीवनी।
चाहे लेखक आदर्श चरित्र के कितने ही निकट क्यों न हो कितने ही श्रद्धालु क्यों न हो, उनका चित्रण तटस्थ और निष्पक्ष होना चाहिए। उन्हें अपनी तरफ से कुछ छिपाना या बढ़ाना नहीं चाहिए; उन्हें अपनी ओर से संदेश देना या निष्कर्ष निकालना नहीं चाहिए।
वर्णन की तटस्थता के बावजूद चित्रण सपाट न हो और न ही वर्णन बोरिंग हो । जीवंत चित्रण और आकर्षक शैली में होना चाहिए।
जीवनी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर-
हिन्दी की पहली जीवनी किसे माना जाता है?
उत्तर- नाभादास भक्तिकाल के कवि स्वामी अग्रदास के विशिष्ट शिष्य थे एवं 'भक्तिमाल' नामक ग्रन्थ के रचयिता भी। इनके व्यक्तिगत विवरण के कोई निश्चित साक्ष्य उपलब्ध नही हैं।
जीवनी का क्या मतलब होता है?
उत्तर- जीवनी शब्द जीवन से बना है।इसमें किसी व्यक्ति के जीवन वृत्त का वर्णन होता है। जीवनी को अंग्रेजी में Biography कहते हैं इसमे Bio का मतलब जीवन व Graphy का मतलब 'वर्णन' होता है।
जीवनी कितने प्रकार की होती है?
उत्तर- आत्मनीय जीवनी, लोकप्रिय जीवनी, ऐतिहासिक जीवनी, मनोवैज्ञानिक जीवनी, व्यक्तिगत जीवनी, कलात्मक जीवनी, व्यंजनत्मक जीवनी इत्यादि।