अब तत्काल अपडेट होगी खतौनी, जमीन की बिक्री में रुकेगी धोखाधड़ी
छः वर्ष में खतौनी अपडेट का झंझट खत्म
लखनऊ राजस्व परिषद की कोशिश परवान चढ़ी तो खतौनी को प्रत्येक छह वर्षों में अपडेट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।खतौनी रियल टाइम में अपडेट हो सकेगी।खतौनी रियल टाइम में अपडेट करने के लिए नेशनल इन्यमेटिक्स सेंटर (एनआइसी) राजस्व परिषद के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने की प्रक्रिया में जुटा है। खतौनी तत्काल अपडेट होने का एक लाभ यह भी होगा कि किसी जमीन को खरीदने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति देखकर तुरंत यह जान सकेगा कि उसका असली मालिक कौन है। इससे जमीन की खरीद-फरोख्त में खाधड़ी पर अं के तौर पर इस साफ्टवेयर का परीक्षण प्रदेश की पांच तहसीलों में किया जा रहा है। इनमें गाजीपुर सदर, सीतापुर को महोली लखनऊ को मोहनलालगंज बाराको की सिरौली गोनरपुर और शामली की सदर ही शामिल हैं।
अभी खतौनी में 12 होते हैं। जब भी कोई जमीन जाती है किसी खातेदार की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारियों की वरासत दर्ज सोती है तो नामांतरण आदेश खतौनी के कम संख्या सात से लेकर 12 तक में दर्ज होते हैं। अभी नामांतरण के फलस्वरूप कालम सात से 12 तक में दर्ज खातेदारों के नाम को एक-एक नामांतरण आदेश पढ़कर ढूंढा जाता है। नया साफ्टवेयर विकसित होने पर जमीन का मैनामा या वरासत दर्ज होने पर खतौनी में नामांतरण आदेश फीड होते ही नए खातेदार कलम-2 आ जाएगा।
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